लोकायुक्त की बड़ी कार्रवाई: प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा
नागदा, 16 नवंबर 2024: मध्य प्रदेश के नागदा शहर में लोकायुक्त की टीम ने पुलिस थाने में तैनात एक प्रधान आरक्षक को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया है। आरोपी पुलिसकर्मी का नाम योगेंद्रसिंह सेंगर है, जो बिरलाग्राम पुलिस थाने पर पदस्थ था। लोकायुक्त टीम ने उसे 4500 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया, जिसके बाद एक बड़ा भ्रष्टाचार मामला सामने आया है।
शिकायतकर्ता ने की थी लोकायुक्त से शिकायत
यह घटना तब प्रकाश में आई जब बिरलाग्राम निवासी ब्रजेश पुत्र तिलकधारी विश्वकर्मा ने पुलिस थाने में अपनी शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होने की शिकायत लोकायुक्त से की। ब्रजेश का आरोप था कि प्रधान आरक्षक योगेंद्रसिंह सेंगर ने उसके खिलाफ दर्ज मामले में कार्रवाई करने के बदले रिश्वत की मांग की थी। इस पर लोकायुक्त ने तत्काल एक टीम गठित की और शिकायतकर्ता के साथ मिलकर कार्रवाई की योजना बनाई।
लोकायुक्त की ट्रैप कार्रवाई
लोकायुक्त की टीम ने शिकायत के आधार पर एक ट्रैप कार्रवाई की योजना बनाई। टीम ने आरोपी पुलिसकर्मी को रंगे हाथ पकड़ने के लिए उसे रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। हालांकि, जो बात सबसे हैरान करने वाली रही, वह यह थी कि कार्रवाई के दौरान लोकायुक्त की टीम ने आरोपी को गिरफ्तार करने के बाद उसे सीधे पुलिस थाने की बजाय *ग्रासिम गेस्ट हाउस* में ले जाकर कार्रवाई की।
वहां पर लोकायुक्त टीम ने आरोपी को गिरफ्तार किया और उसके खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप में प्रकरण दर्ज किया। इस दौरान टीम में शामिल अधिकारियों में विशाल रेशमिया, इशरात श्याम शर्मा, संदीप कटारे सहित कुल 10 सदस्य थे।
मीडिया और गेस्ट हाउस में विवाद
ग्रासिम गेस्ट हाउस में कार्रवाई के दौरान एक और विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई, जब लोकायुक्त की टीम ने मीडिया कर्मियों को गेस्ट हाउस में प्रवेश करने से रोक दिया। पत्रकारों का आरोप था कि लोकायुक्त टीम ने जानबूझकर मीडिया को वहां से बाहर रखा, जिससे कार्रवाई की पारदर्शिता पर सवाल उठने लगे। मीडिया के हस्तक्षेप से बचने के लिए लोकायुक्त ने गेस्ट हाउस के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात कर दिया, और कार्रवाई को लेकर चुप्पी साधी रही।
यह स्थिति विवादास्पद हो गई, क्योंकि आम तौर पर लोकायुक्त की कार्रवाई में मीडिया को सूचना दी जाती है, ताकि मामले में पारदर्शिता बनी रहे। मीडिया कर्मियों ने विरोध किया कि कार्रवाई में मीडिया को क्यों रोका गया और यह किस प्रकार की गोपनीयता थी, जिसके चलते पत्रकारों को बाहर किया गया।
उद्योग प्रबंधन का बयान
वहीं, इस पूरे घटनाक्रम को लेकर ग्रासिम उद्योग प्रशासन ने भी अपनी स्थिति स्पष्ट की है। उद्योग प्रबंधन ने यह दावा किया है कि उन्हें लोकायुक्त की टीम द्वारा कार्रवाई करने की कोई जानकारी नहीं थी। उद्योग प्रशासन का कहना है कि गेस्ट हाउस में पकड़े गए प्रधान आरक्षक से उनका कोई संबंध नहीं है और न ही उन्हें कोई सूचना थी कि वहां लोकायुक्त की टीम किसी को गिरफ्तार करने आई थी।
उद्योग के प्रवक्ता ने कहा कि “हमारा इस मामले से कोई संबंध नहीं है। हम आशा करते हैं कि जांच में सब कुछ साफ हो जाएगा।”
लोकायुक्त ने किया मामला दर्ज, जांच जारी
लोकायुक्त की टीम ने प्रधान आरक्षक योगेंद्रसिंह सेंगर के खिलाफ भ्रष्टाचार और रिश्वत लेने के आरोप में मामला दर्ज किया है। लोकायुक्त द्वारा की गई इस कार्रवाई को बड़ी सफलता माना जा रहा है, क्योंकि यह पुलिस विभाग के भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार की ओर इशारा करता है।
लोकायुक्त के अधिकारी इस मामले की गहराई से जांच कर रहे हैं और आरोपी पुलिसकर्मी के खिलाफ सभी आवश्यक कानूनी कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है। जांच में यह भी देखा जाएगा कि क्या अन्य पुलिसकर्मी या अन्य विभागीय कर्मचारी इस भ्रष्टाचार में शामिल थे, या यह केवल एक व्यक्तिगत मामला था।
इस घटना ने यह साबित कर दिया कि लोकायुक्त जैसी संस्थाएं भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह मामला समाज में एक सशक्त संदेश भेजता है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। लोकायुक्त की टीम के प्रयासों ने यह दिखा दिया कि वे किसी भी दबाव में आकर कार्रवाई से पीछे नहीं हटेंगे और हर भ्रष्टाचार को उजागर करेंगे।
इस पूरी घटना को लेकर अब यह सवाल उठने लगे हैं कि क्या इस मामले में केवल एक पुलिसकर्मी को दोषी ठहराया जाएगा, या फिर इस तरह की घटनाओं के जड़ तक जाने के लिए और भी उच्च स्तर पर जांच की जाएगी। जनता और मीडिया की नजरें अब लोकायुक्त की जांच और पुलिस विभाग में होने वाली आगामी कार्रवाई पर रहेंगी।