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Sidhi24news;दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति और पूंजी श्रद्धा: डॉ. चिन्मय पांड्या

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Sidhi24news;दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति और पूंजी श्रद्धा: डॉ. चिन्मय पांड्या

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पडखुड़ी आश्रम में मां गायत्री, सरस्वती, और लक्ष्मी की प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शांतिकुंज हरिद्वार के संतों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा-अर्चना की। विंध्य क्षेत्र में स्थित यह गायत्री आश्रम, स्वरोजगार के नए द्वार खोलेगा, जिसमें अत्याधुनिक खेती और ग्राम प्रबंधन में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।

अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी ने देश भर में 3000 से अधिक गायत्री शक्तिपीठों की स्थापना की, जब आवागमन के साधन सीमित थे। इस कार्य को संभव बनाने के लिए श्रद्धा और संकल्प की आवश्यकता थी। शनिवार को गायत्री आश्रम पडखुड़ी रामपुर नैकिन में मां गायत्री की विशाल प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पांड्या ने कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।

डॉ. चिन्मय पांड्या ने कहा कि अब समय है श्रद्धा को संकल्प में बदलने का। उन्होंने कहा कि परम पूज्य गुरुदेव पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी ने संकल्प लिया और गायत्री साधना को सभी के लिए सुलभ बनाया। हमें गुरुदेव के आदर्शों के अनुसार आदर्श समाज की नींव रखनी होगी। उन्होंने आगे कहा कि इस दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति और पूंजी श्रद्धा है और आज आंतरिक श्रद्धा की अभिव्यक्ति का दिन है। सच्ची गुरु भक्ति तब है जब हम अपनी श्रद्धा को गुरु चरणों में लगाकर उनकी इच्छाओं की पूर्ति में जीवन लगाते हैं।

गायत्री परिवार 2026 में परम वंदनीय माता भगवती देवी शर्मा जी और अखंड दीप शताब्दी समारोह मनाने की योजना बना रहा है। डॉ. पांड्या ने यह भी बताया कि गायत्री आश्रम पडखुड़ी का परिसर आध्यात्मिक है और इसे इस प्रकार निर्मित किया गया है कि यहां लोग हिमालय जैसी अनुभूति कर सकें। यहां गायत्री की विशेष साधनाएं आयोजित की जाएंगी।

इस कार्यक्रम के पहले दिन शांतिकुंज हरिद्वार से आए युग मनीषियों द्वारा मां गायत्री, मां सरस्वती, और मां लक्ष्मी जी की मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ स्थापना की गई। इसके बाद चौबीस कुंडीय गायत्री महायज्ञ की पूर्णाहुति की गई। चार दिवसीय कार्यक्रम में सीधी, रीवा, सतना, टीकमगढ़, दमोह, पन्ना, ग्वालियर, देवास, और जयपुर के परिजनों ने भाग लिया, जिन्होंने परम पूज्य गुरुदेव के संदेश को आत्मसात कर त्यागमय जीवन जीने की प्रेरणा ली।

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