Sidhi24news:सीधी जिले में खनिज खदानों का नहीं होता कर निर्धारण
-खनिज अधिकारी के कार्यालय में नहीं बैठने से विभागीय कार्य प्रभावित
सीधी-जिले में संचालित खनिज खदानों का शासन की मापदंडों के मुताबिक कर निर्धारण नहीं होता। जिसके कारण शासन को राजस्व की भारी चपत लग रही है। संविदाकार एवं अधिकारी तो मालामाल हो रहे हैं लेकिन शासन के खजाने में पुराना कर ही पहुंच रहा है। खनिज पदार्थों की कीमतें मनमानी तौर पर साल में कई बार बढ़ जाती है लेकिन शासन को विभागीय अधिकारियों की सांठगांठ के चलते काफी पुराना कर मिल रहा है।
खनिज विभाग के अधिकारियों की मंशा भी संविदाकारों की हितैषी बनी हुई है। उनके द्वारा कर का निर्धारण नए सिरे से करानें की जरूरत नहीं समझी जा रही है। दरअसल जिले में पदस्थ प्रभारी खनिज अधिकारी नियमित रूप से कार्यालय में नहीं बैठते हैं। लिहाजा विभागीय कार्य काफी प्रभावित हो रहा है। शासन के मापदंडों का पालन इसी वजह से संविदाकार भी नहीं करते। बताते चलें कि जिले के ग्रामीण अंचलों में 55 से अधिक खनिज खदानों का संचालन हो रहा है। खनिज खदानों के संचालन की अनुमति विभाग द्वारा विभिन्न शर्तों के अधीन दी गई है। जिले में गिट्टी, पत्थर, ग्रेनाइट, बोल्डर, मुरुम की खदानें संचालित हो रही हैं।
जिनमें तहसील गोपद बनास के बमुरी में गिट्टी, पत्थर, कोचिला में पत्थर, बहेरा पश्चिम में पत्थर की दो खदानें, धनखोरी में पत्थर, बारी में पत्थर, पनवार सेंगरान में पत्थर, अमहवा में गिट्टी, बोल्डर एवं पत्थर, बरिगवां में पत्थर, शिवपुरवा में पत्थर, धनखोरी में गिट्टी एवं पत्थर, करगिल में पत्थर, कठास में पत्थर, कठास बी में पत्थर, शिवपुरवा में पत्थर, बहेरा पश्चिम में पत्थर की खदान संचालित हो रही हैं। इसी तरह तहसील मझौली के सिलवार में ग्रेनाइट, खडौरा में ग्रेनाइट, खडौरा में दो गिट्टी एवं ग्रेनाइट की खदान के साथ तीसरी ग्रेनाइट की खदान, पैपखरा में गिट्टी, करमाई में गिट्टी एवं पत्थर की खदान संचालित हो रही हैं।
तहसील कुसमी के धुम्माडोल में गिट्टी एवं पत्थर, धुम्माडोल की दूसरी खदान में पत्थर, कतरवार में गिट्टी, बोल्डर, पत्थर की दो खदानें संचालित हो रही हैं। तहसील सिहावल के हर्दिहा में गिट्टी, बोल्डर, पत्थर, झरिया में गिट्टी बोल्डर, पत्थर, झरिया में गिट्टी, पत्थर, उमरिया में पत्थर, दुअरा में गिट्टी, बोल्डर, पत्थर, झरिया में पत्थर, लौआ में पत्थर, अकला में पत्थर, झरिया में गिट्टी, बोल्डर, पत्थर, हर्दी में पत्थर, झरिया में पत्थर, हटवा खास में गिट्टी बोल्डर, पत्थर की दो खदानें, झरिया में पत्थर, दुअरा में पत्थर, लौआ में पत्थर की दूसरी खदान, सिहौलिया में पत्थर की खदान संचालित हो रही हैं। तहसील रामपुर नैकिन के धनिगवां में पत्थर की दो खदानें, मझिगवां में पत्थर की खदान तथा रामपुर में मुरुम की खदान संचालित हो रही हैं। तहसील बहरी के करौंदी में गिट्टी एवं पत्थर के दो खदानें संचालित हो रही हैं। उक्त खदानों में बड़े पैमाने पर उत्खनन एवं परिवहन किया जा रहा है।
क्रेशरों में खपाए जा रहे जंगलों के पत्थर
जिले में पत्थरों की सबसे ज्यादा मांग क्रेशरों में पत्थरों की गिट्टी बनानें के लिए ज्यादा है। जिन स्थलों में काफी संख्या में क्रेशर संचालित हो रहे हैं उसके आसपास पत्थरों एवं बोल्डरों की खदानें भी सबसे ज्यादा वैध-अवैध चल रही हैं। यहां तक कि जंगलों में भी पत्थरों की अवैध खदानें संचालित करने की होड मची हुई है। क्रेशरों में पहुंच रहे पत्थरों को पीसकर विभिन्न साईज की गिट्टियां तैयार की जाती हैं। जिनकी मांग भवन, सड़क, एवं अन्य कार्यों में काफी अधिक है। इसी वजह से सीधी जिले में क्रेशर संचालकों के साथ ही खदान संचालकों की संख्या भी काफी ज्यादा बढ़ रही है। इनमें कई क्रेशर संचालक ऐसे हैं जो कि अपने व्यवसाय की सुविधा की दृष्टि से अलग से पत्थरों की खदान अनुज्ञप्ति लेकर संचालित कर रहे हैं। दरअसल क्रेशर संचालकों को खनिज विभाग से अनुज्ञप्ति मिलने के बाद उन्हें व्यवसाय की दृष्टि से कई सुविधाओं का उपभोग करनें का भी छूट है। पट्टा अंतरण की अवधि के दौरान समस्त समयों पर उक्त भूमियों में प्रवेश करने और खनिजों को प्राप्त करने में छूट के साथ ही उन्हें लाने-ले जाने एवं परिवर्तन करने की भी छूट होती है। जिस स्थान में अनुज्ञप्ति मिलती है वहां मशीनरी एवं संयंत्र लाने ले जाने के साथ ही भंडारण, गोदाम, शेड, अन्य भवन और अन्य कार्य स्थापित करने की छूट भी रहती है। साथ ही व्यवसाय में सुविधा के लिहाज से विद्यमान रास्तों तथा मागों का उपयोग भी किया जा सकता है। संबंधित स्थान में जल धाराओं के उपयोग की छूट भी मिलती है। इसके लिए आवश्यकता पड ? पर कलेक्टर की अनुज्ञा से उक्त भूमि या उक्त भूमि पर किन्हीं जल धाराओं, जल मार्गों, झरनो एवं अन्य स्त्रोतों के पानी का उपयोग किया जा सकता है। ये अवश्य है कि इस कार्य से आसपास रहने वाले लोगों के साथ ही पशुओं को भी पानी का उपयोग करने की पूरी स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। इसी वजह से सीधी जिले में क्रेशर संचालन करना काफी मुनाफा का कारोबार माना जा रहा है। जिनके पास पूंजी है वो एक साथ कई स्थानों में क्रेशर का संचालन कर रहे हैं।