Sidhi:बस बेबसो पर चलता है जोर,मजे में रहते हैं,बड़े अपराधी और चोर
सीधी- वैसे तो सीधी हमेशा से चर्चे में रही है,आए दिन यहाँ कुछ न कुछ ऐसी घटनाएं घटित होती रहती है जिससे की प्रदेश और देश तक में इसके चर्चे हो जाते हैं। यहाँ का नाम भले ही सीधी है लेकिन यहाँ सीधा कुछ नहीं है हां जो कुछ लोग सीधे है उन्ही पर अफसर अपना जोर आजमाते देखे जाते है। पूर्व की कुछ घटनाएं इसका बड़ा उदाहरण है।
अभी हाल ही में जिले के सिहावल क्षेत्र से एक मामला धीरे धीरे फिर तूल पकड़ रहा है जहाँ एक निरापराध आदिवासी को बिना किसी वजह के खाखी धारियो ने बेदम पीट दिया और मजे कि बात यह है कि बुरी तरह से मार खाने के बाद भी उसे उसका अपराध पता ही नहीं…? जी हाँ घर से थाने लाकर निर्वस्त्र कर युवक को पीटा जा रहा था और वह चिल्ला चिल्ला कर अपना जुर्म पूछ रहा था- साहब क्यूं मार रहे हैं..? मेरा क्या कसूर है..? मैने क्या अपराध किया है..? मत मारिए मुझे अदिवासी युवक की करुण पुकार के जबाब में खाखीधारी लगातार बस भद्दी गालियाँ बक रहे थे। अदिवासी युवक जब इस बात से व्यथित होकर पुलिस कप्तान के पास पहुंचा तो उसने न केवल मुखिया को अपने साथ हुई ज्यादती सुनाई बल्कि एक और गंभीर बात बताई उसने कहा कि साहब न्याय की आस में मार पीट की शिकायत जब वहां पदस्थ टीआई साहब से की गई तो उनके द्वारा भी मां बहन की गाली देते हुए वहा से भगा दिया गया। गौर करने वाली बात यह भी है कि ये वही टीआई साहब है जिनके कोतवाली प्रभारी रहते एक युवक की थाने में मारपीट के दौरान मौत हो गई थी और इन पर जांच बैठ गई थी लेकिन जिले से स्थानांतरण होने और मामला रफा दफा होने के बाद इनका मोह फिर सीधी से जगा और इन्हें अमिलिया की कमान मिल गई। अपने पुराने रुआब में कटौती न करते हुए जन सेवा जारी है।
आम तौर पर पुलिस लोगों की मदद और कनून व्यवस्था को कायम करने के लिए होती हैं लेकिन जब आम लोगों को इनसे डर लगने लगे तो इनके होने का क्या फायदा। अक्सर देखा जाता है की इन खाखी बाहुबलियों का जोर बेबसो पर ही चलता है,पद और पैसे वालो की तो आवभगत की जाती है। किसी ने किसी आम आदमी पर आरोप लगाया कि इनकी टीम तुरंत उसे उठा कर थाने में पटक देगी और कार्यवाही शुरू जबकि एक से एक अपराधी और दो नंबर का धंधा करने वाले इनके साथ कुर्सी साझा करते दिख जाएगें। कहीं अगर पुलिस की चेकिंग लगी है तो ढ़ूढ कर ऐसे व्यक्ति को पकड़ा जाता है जो कमजोर,और देहाती है और चालान के नाम पर कुछ देकर ही जाएगा। मजाल क्या की किसी पैसे वाले या पद वाले को हाथ दिखा दे जबकि हकिकत यह है कि ज्यादातर इनके विभाग के लोग ही नियमों कि धज्जियां उड़ा रहे हैं। कई पुलिस के सिपाही से लेकर अधिकारी तक है जिनपर आरोप है केस चल रहें हैं लेकिन अपनी बिरादरी पर आंच न आए।
किस थानेदार को नहीं पता है कि उसके थाना क्षेत्र में कहा कहा अवैध काम हो रहें हैं, कहाँ शराब की अवैध बिक्री हो रही है। कहाँ गाजा और कोरेक्स बिक रहा है कहा जुए के फड़ चल रहें हैं कहाँ सट्टा पर्ची कट रही है इन्हें सब पता है पर कार्रवाई नहीं करेंगे ये तो स्त्रोत है और आम आदमी इनके ही डर से इनके पास नहीं जा पाता कि साहब कही बिगड़ न जाए। आम लोगों के लिए तैनात जन सेवक साहब बन उन्ही पर अत्याचार कर रहे हैं। और ये लम्बे समय से चल रहा है।