Sidhi24news:वनांचल में इंसान का शिकार,बुजुर्ग को बाघ ने बनाया आहार
सीधी- जिले के वनांचल क्षेत्र में स्थित संजय टाइगर रिजर्व से एक दुखद खबर निकलकर सामने आई है यहां जंगली जानवर द्वारा एक बुजुर्ग का शिकार कर लिया गया है इस घटना के बाद पूरे क्षेत्र में दहशत का माहौल है मौके पर पुलिस और संजय टाइगर रिजर्व की टीम द्वारा जांच कार्यवाही की जा रही है जंगली जानवर के हमले में बुजुर्ग की दर्दनाक मौत हो गई है।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले के संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र मोहन रेज अंतर्गत चोकरी ग्राम स्थित स्थित बूढ़ी खोह नामक स्थान में जंगली जानवर द्वारा 58 वर्षीय ब्रम्हा सिंह पिता मल्लू सिंह का शिकार कर उसे मौत के घाट उतार दिया है लोगों की माने तो जंगली जानवर बाघ था जिसके हमले में बुजुर्ग की जान गई है।
बताया गया है कि मृतक ब्रम्हा सिंह सिंह अपने गांव से कुसमी स्थित बैंक में पैसे निकालना आया था यहां पैसे निकालने के बाद बाजार से सामान खरीद कर वह शाम को अपने गांव चोकरी वापस जा रहा था जहां रास्ते में बाघ द्वारा इसका शिकार कर लिया गया। बाघ के शिकार के बाद मिले मृतक केशव का अधिकांश भाग द्वारा खा लिया गया है लोगों की सूचना पर पहुंची पुलिस और वन मले की टीम द्वारा घटनास्थल का निरीक्षण किया गया जहां रास्ते में पाया गया कि मृतक का छाता दंड और सामान पड़े हुए हैं साथ ही जमीन पर काफी मात्रा में खून के निशान हैं। घटना मृतक के घर से करीब आधा किलोमीटर पहले घटित हुई है। इस पूरे मामले में कुसमी पुलिस द्वारा पंचनामा तैयार किया जाकर वन विभाग की टीम के सामने जांच कार्यवाही की जा गई और मर्ग कायम कर विवेचना की जा रही है।
अक्सर होता है जंगली जानवरों का हमला
गौरतलाब है कि सीधी जिले के दक्षिणी छोर पर पर्याप्त मात्रा में जंगल है और यहां संजय टाइगर रिजर्व स्थित है जंगल में बसने वाले लोगों का सामना अक्सर जानवरों से होता रहता है आए दिन जानवरों के हमले में इंसानों की जान जाने की खबरें आती रहती हैं कभी जंगली हाथी का आतंक लोगों को परेशान करता है तो कभी बाघ की दहशत व्याप्त रहती है। कई बार तेंदुए के द्वारा भी इंसानों का शिकार किया गया है इंसानों की मौत का आंकड़ा देखें तो कई लोगों को जानवरों के हमले में अपनी जान गंवानी पड़ी है।
विस्थापन की धीमी गति भी जिम्मेदार
बता दे की वनांचल क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जो संजय टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बीच जंगल में बसे हुए हैं यहां लंबे समय से विस्थापन की प्रक्रिया चल रही है लेकिन सरकारी धीमी चाल के चलते लोगों को अभी तक विस्थापित नहीं किया जा सका है जिसके कारण मजबूरी में ग्रामीणों को बीच जंगल में जानवरों के बीच रहना पड़ रहा है और ऐसे में आए दिन घटनाएं होती रहती हैं और लोगों की जान जाने का सिलसिला बराबर चल रहा है।