Search
Close this search box.

Re. No. MP-47–0010301

Sidhi24news;किसान भाई धान की नर्सरी डालने के पूर्व बीजों का शोधन अवश्य करें – उप संचालक कृषि 

Advertisement

किसान भाई धान की नर्सरी डालने के पूर्व बीजों का शोधन अवश्य करें – उप संचालक कृषि

Advertisement

सीधी खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में शामिल धान की नर्सरी डालने के पहले अगर सही तरीके से बीजों का शोधन कर लिया जायें, तो फसल रोपाई के बाद धान की फसल को रोग से बचाया जा सकता है। तत्सम्बन्ध में उप संचालक कृषि सीधी द्वारा बताया गया कि धान की फसल को सबसे ज्यादा जिस रोग से नुकसान पहुंचता है, वह है कंडुआ रोग। अगर यह रोग फसल में लग जाए, तो धान की पूरी फसल को बर्बाद कर देता है, साथ ही अगल-बगल की फसल को भी अपनी चपेट में ले लेता है, इसलिए किसानों को धान की फसल को कंडुआ रोग से बचाने के लिए बीजों का शोधन जरूर करना चाहिए। धान की फसल में लगने वाला कंडुआ रोग फफूंद जनित है, जिससे 60 से 90 फीसदी तक फसल प्रभावित हो जाती है। यह सामान्यतः तापमान अधिक होने एवं हवा में आर्द्रता अधिक होने के चलते तेजी से फैलता है। धान में यूरिया का ज्यादा प्रयोग भी इस रोग को बढ़ाता है। यह रोग प्राथमिक तौर पर बीज से शुरू होता है, इसलिए बीज शोधन अत्यंत जरूरी है।

  धान बीज शोधन के लिए 25 किलोग्राम बीज के लिए सबसे पहले 4 ग्राम स्ट्रेप्टोसाइक्लीन दवा को 40 से 45 लीटर पानी में घोल लेते हैं, फिर इसमें 16 से 18 घंटे तक धान बीज को भिगो कर निकालने के बाद छान कर छाया में सुखाते हैं, इस के बाद 60 ग्राम कार्वेन्डाजिम धान में मिला कर जूट की बोरियों को भिगो कर ढक देते हैं। 15 से 18 घंटे बाद जब बीज में सफेद अंकुरण दिखाई देने लगे, तो नर्सरी डालने के बाद रोग का खतरा कम हो जाता है।

बतादें इसके अलावा धान में जैव उर्वरकों एवं नैनो डीएपी का भी उपयोग करके फसल को रोग एवं कीटब्याधित से बचाया जा सकता है। जैविक उर्वरक के रूप में एजोस्प्रिलियम या एजेटोवेक्टर एवं पीएसबी जीवाणुओं की 5 किग्रा को 50 किग्रा. प्रति हेक्टेयर सूखी सड़ी हुई गोवर की खाद में मिलाकर खेत में मिला दे इसके पश्चात् धान के रोपित खेत में (20 दिन रोपाई उपरान्त) 15 किग्रा. प्रति हेक्टेयर नीलहरित काई का भुरकाव 3 से.मी. पानी की तह रखते हुये करें। इसी प्रकार नैनो डीएपी तरल का बीजोपचार हेतु 5 मि.ली. प्रति किग्रा. की दर से करें एवं उपचारित बीजों को 20-30 मिनट तक छांव में सुखाने के उपरान्त ही बोवाई करें। उप संचालक कृषि द्वारा किसान भाइयों से अपील की गई है कि उपरोक्त सुझाव पर अमल करते हुये धान की फसलों को रोगो से बचायें।

Leave a Comment

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!