Sidhi24news:बेरोजगार युवाओं के सपनों पर चला प्रशासन का बुल्डोजर
बड़े अतिक्रमणकारियों पर ध्यान नहीं,बेरोजगार युवाओं की रोजीरोटी पर मारी लात
सीधी- वर्तमान शासन प्रशासन निरंकुश,निर्दयी और तानाशाह हो गया है। एक ओर जहां बेरोजगारी चरम पर है तो वही दूसरी ओर तानाशाही भी अपने शबाब पर है। जिनके पास पहुच और पावर है उनकी लाख गलतियां और अपराध नजरअंदाज कर दिए जाते हैं लेकिन गरीब और असहाय लोगों पर नियमों की तलवार चलाई जाती है। ऐसा ही एक वाक्य आज देखने को मिला है जहां कन्या महाविद्यालय के सामने छोटी- छोटी गोमती रखकर बेरोजगारी से लड़ रहे युवाओं पर आज शासन ने अतिक्रमण के नाम पर अपनी मनमानी का बुल्डोजर चला दिया है। जबकि जगह जगह छोटे से लेकर बडे़ अतिक्रमण यथावत है लेकिन पहुँच के कारण उन पर कभी कोई कार्यवाही नहीं होती है।
जी हाँ बता दे कि एक ओर जहां सरकार फुटपाथ और ठेला व्यापारियों को आर्थिक सहायता देकर उनके जीवन को सुखमय बनाने का प्रयास किया जा रहा है वही अपनी छोटी- छोटी बचत से गोमठियो में छोटी मोटी दुकाने चला रहे शिक्षित बेरोजगारों पर जिले के प्रशासनिक अमले द्वारा नेताओं के इशारे पर जोर दिखाया जा रहा है।
आज दोपहर शासकीय कन्या महाविद्यालय के सामने खाली और बेकार पड़ी जमीन पर लम्बे समय से चल रही गोमठियो पर प्रशासन ने बुल्डोजर चला दिया इन गोमठियो में बेरोजगार युवाओं द्वारा फोटो कापी और कम्प्यूटर संबंधित कार्य कर के अपना जीवन यापन किया जाता था।लेकिन इस बेकार पड़ी जमीन पर अतिक्रमण बताकर उसे उखाड़ फेंकने का काम किया गया। जबकि जिले में हर ओर अवैध अतिक्रमण व्याप्त है जिस पर किसी कि नजर नहीं पड़ती फिर चाहे कलेक्ट्रेट आफिस के चारों ओर हो या संजय गाँधी महाविद्यालय। सम्राट चौक हो या अस्पताल तिराहा बीच बाजार से लेकर सरकारी दफ्तरों के आस पास हर जगह अतिक्रमण है इनमें से कई जगहों पर शराब बिकती हैं तो कहीं गाजा और तो और कई बड़े रसूखदारों के नाम भी अतिक्रमणकारियों की लिस्ट में है लेकिन कही माहवार पैसे लेकर जिम्मेदार मौन है तो कही राजनैतिक संरक्षण के कारण प्रशासनिक अमले की हिम्मत जवाब दे गई। लेकिन पढ़ लिखकर बेकार घूमने कि बजाय दो पैसे का सही काम करने वाले ही प्रशासन कि नजरों में खटकते है शायद यही वजह है कि आज प्रशासन ने उन पर यह बर्बरता की है। खैर कार्यवाही लाजमी है और होनी भी चाहिए लेकिन निष्पक्ष…? और अगर उनकी दुकान से कोई सरकारी काम प्रभावित हो रहा होता या फिर यातायात प्रभावित होता तो बात समझ आती लेकिन किसी दुराग्रह की भावना या आकारण ही कार्यवाही समझ के परे है।