आजीविका मिशन से जुड़कर प्रभा बनी लखपती जैविक खेती को मिल रहा नया आयाम…
सीधी जिले के विकासखण्ड सिहावल के ग्राम पंचायत बमुरी की प्रभा सिंह गहरवार सोनल स्व सहायता समूह से जुड़ी हैं। प्रभा सिंह ने बताया कि समूह से जुड़ने से पहले वह घर का काम करती थी, उनके पति भी घर में ही छोटा मोटा काम करते थे। घर की सालाना इनकम 50 हजार रुपये से भी कम थी। कम आय के कारण परिवार चलाना, भोजन, बच्चों की पढ़ाई आदि कार्य सुचारु रूप से नहीं चल पाते थे एवं कमाई का कोई और माध्यम ना होने के कारण घर की आजीविका चलना कठिन हो गया था। 2016 में आजीविका मिशन कर्मी द्वारा गांव में महिलाओं के बीच बैठक की जिसमें समूह से जुड़ कर होने वाले फायदे के बारे में समझाया गया। पति के सपोर्ट से उन्होंने समूह का गठन किया। समूह से जुड़े सदस्यों के साथ निरंतर बैठक एवं बचत करती गई।
अपने आजीविका को बढ़ाने के लिए प्रभा सिंह अपने समूह से ऋण लेकर साबुन बनाना एवं बिक्री का कार्य शुरू किया साथ ही उनके द्वारा समूह गठन, सिलाई, कृषि सीआरपी एवं अन्य आजीविका संबंधी कार्य किया। कृषि सखी प्रभा सिंह द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सोनल जैविक उत्पादक समूह बनाया जिसमें गाँव की गरीब दीदी को जोड़ कर अपने घर में जैविक तरीके से खाद दवा बनाकर जैविक कृषि, जैविक सब्जी उत्पादन एवं अन्य आजीविका गतिविधि को चलाने हेतु प्रयास किया जा रहा है।
प्रभा सिंह का कहना है कि जैविक खेती करना हमारे स्वास्थ्य एवं हमारे पर्यावरण के लिए लाभदायक है। उत्पादन में वृद्धि एवं खेत की मृदा में सुधार बेहतर ढंग से हो रहा। भूमि जल धारण क्षमता बढ़ रही जैविक खेती में कम लागत लगानी पड़ती है एवं उत्पादन का मूल्य बाजार में बेहतर तरीके से मिल रहा है। प्रभा सिंह द्वारा जैविक कृषि हेतु भोपाल, उत्तर प्रदेश एवं अन्य स्थानों के प्रशिक्षणों में भी भाग लिया गया।
प्रभा सिंह स्वयं के साथ-साथ एक सफल उद्यमी बनने के लिए समूह से जुड़ी कृषक दीदियों को आरसेटी के सहयोग के माध्यम से कृषि उद्यमी का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। आज प्रभा सिंह की जीवन शैली बदल चुकी है, आज सालाना इनकम एक लाख 20 हजार से एक लाख 70 हजार रुपये लगभग है। प्रभा सिंह अपनी सफलता का श्रेय आजीविका मिशन को देती है। प्रभा सिंह ने कहा कि आजीविका मिशन के समूह से जुड़ कर मैं आज गर्व का अनुभव करती हूँ। प्रशिक्षण एवं समय-समय पर समूह के माध्यम से ऋण उपलब्ध कराकर मेरे जीवन में आजीविका के माध्यम से लखपती बनने तक के सफर का मार्ग दिखाया।