Sidhi24news ; विंध्यक्षेत्र के सीधी जिले की अरहर में आखिर क्या खासियत है की लोगों इतना गुणगान गाते है
सीधी जिले की अरहर दाल को बहुत ही स्वादिष्ट माना जाता इसका उत्पादन शुष्क और नमी वाले क्षेत्रों में किया जाता है इसकी खेती के लिये किसान को ज्यादा मेहनत भी नही करनी पड़ती है कम सिंचाई के साथ सूर्य की ऊर्जा की भी जरूरत होती है. इसलिये इसकी बुवाई के लिये जून-जुलाई का महीना बेहतर माना जाता है अच्छी उपज लेने के लिये अरहर को मटियार दोमट मिट्टी या रेतीली दोमट मिट्टी में उगा सकते हैं इसमें खास बात यह है की काम लागत में तैयार हो जाती ना ही यूरिया डीएपी की ज्यादा जरूरत पड़ती है बोने के बाद किसान एक बार निदाई गोड़ाई कर देता है अरहर के पौधे आसानी के साथ निकल कर बड़े हो जाते है ये एक ऐसी फसल है है की ज्यादा ठंडी हवा में सूख जाती है है जिसे हम गांव की भाषा में पाला लगना कहते है हालांकि ज्यादा सर्द हवाओं के चलने पर किसान को नुकसान का सामना करना पड़ता है यह लम्बे समय में तैयार होती है खरीफ की फसल के साथ बोबाई की जाति है और रबी की फसल के साथ कटाई की जाती है।
क्या है अरहर के दाल की खासियत
बतादें की मध्य प्रदेश के सीधी जिले की अरहर जब पककर तैयार हो जाती है तो रसोई में अलग खुशबू आने लगती है हालांकि उसे दाल बनाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है अरहर को पहले साफ करना पड़ता है फिर उसे पानी में धोना पड़ता है पानी में धोने के बाद उसे रात भर किसी बस के बने हुए बर्तन (टोपरी)में रख देते हैं ताकि उसका पानी निकल जाए फिर उसको मिट्टी के बर्तन गांव की भाषा में (नादोलवा)को चूल्हे में रख कर गर्म करते है फिर उसी में धुली हुईं अरहर को डाल कर भूजते है इसके बाद उसे सूखे कपड़े में धूप में डाल देते हैं फिर उसको धूप में सूखने के बाद पत्थर की (चकरी) में दरने का काम किया जाता हैं फिर दरने के बाद उसे साफ करके दाल निकल जाती है निकालने के बाद उसे पत्थर की काड़ी में डालकर उसमें मूसर से काण कर साफ किया जाता है फिर इसको धूप में डालकर एक बार दाल को धूप में सुखाया जाता है और बर्तन में भर कर रख दिया जाता ताकि उसका स्वाद हमेशा के लिए वरकार रहे।… यह दाल बनाने की प्रक्रिया कैसी लगी मुझे कॉमेंट बॉक्स में लिखें….
🙏(शान्ति दाई) का सुझाव🙏