ब्रह्माण्ड का अद्भुत मंदिर जहां एक साथ 11 महाशक्तियों की गई हैं स्थापना
बिहारी लाल गुप्ता की रिपोर्ट
भुईमाड़/सीधी। भगवती मानव कल्याण संगठन से भुईमाड़ कुशमी तहसील के साथ सीधी जिले से हजारों कार्यकर्ता जुडे हुए हैं, संगठन का केन्द्रीय कार्यलय कहे या धाम कहें तो वह शहडोल जिले अंतर्गत आने वाले ब्योहारी तहसील के मऊ ग्राम में स्थित पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम धाम जिसकी स्थापना 23 जनवरी 1997 को धर्म सम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा की गई थी, लेकिन इस नाम को पूर्णता 15 अप्रैल 1997 को तब मिली जब श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा इस सृष्टि की 11 महा शक्तियों के स्थापना पंचज्योति शक्तितीर्थ आश्रम मे की क्योंकि सिद्धाश्रम शब्द सामान्य नहीं है सिद्धाश्रम के बारे में जानना इतना आसान नहीं है, इसका मतलब साधना के उच्च स्तर को प्राप्त करने वाले साधु संत योगी ही समझ सकते हैं, क्योंकि आगे जो हम बताने जा रहे हैं वह इस सृष्टि का एक बहुत बड़ा रहस्य है जिसका उल्लेख युगों पहले दुर्गा सप्तशती नाम की पुस्तक में किया गया है। क्योंकि पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम में इस भूमंडल का ऐसा दुर्लभ महाशक्तियों की स्थापना की गई है जिनके दर्शन करना मानव जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है।
हम बात कर रहे हैं पंचज्योति शक्तिपीठ आश्रम में स्थापित अखंड श्री दुर्गा चालीसा पाठ मंदिर में 11 महाशक्तियों की जिसमें प्रमुख रूप से केंद्र में स्थापित माता महिशमर्दिनी की जो संपूर्ण ब्रह्मांड की संचालक है जिनकी आराधना से महालक्ष्मी महाकाली माहा सरस्वती की आराधना एक साथ हो जाती है, उनके दाहिने तरफ पुत्र विघ्नहर्ता गणेश जी की स्थापना है गणेश जी के दाहिने त्रिदेव तरफ मध्य में विष्णु भगवान उनके दाहिनी तरफ ब्रह्मा जी एवं बाई तरफ शंकर जी की स्थापना है और अंत में मां जगत जननी जगदंबा की सहायक शक्ति हनुमान जी की स्थापना माता महिसमर्दिनी के बाई तरफ भगवती दुर्गा जी की स्थापना की गई है वहीं उनके बाई तरफ महा सरस्वती महालक्ष्मी और महाकाली जी की स्थापना है और महाकाली जी के दाहिनी तरफ भैरव जी की स्थापना की गई है।
यह जो संपूर्ण दृश्य है यह बेहद ही अलौकिक और देवताओं के लिए भी दुर्लभ है कि जहां पर 15 अप्रैल 1997 से अखंड अनंत काल के लिए श्री दुर्गा चालीसा पाठ प्रारंभ किया गया हो और 11 महा शक्तियों की स्थापना की गई हो। शरदीय नवरात्रि 2023 की चतुर्थी तिथि तक अस्थाई रूप से स्थापना थी और पंचमी तिथि इस इस भूमंडल का वह तिथि बनी जब 11 महाशक्तियों ने स्थाई रूप से कलयुग की भयावता को समाप्त करने के लिए अपने अपने विग्रह में अनंत काल के लिए स्थापित हुए।
धर्म सम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज द्वारा स्थापित पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम को समझना किसी मानव के बस की बात नहीं है क्योंकि मां की माया को केवल मां के भक्ति ही समझ सकते हैं और परमधाम सिद्धाश्रम और ऐसे दुर्लभ दृश्य के दर्शन करना वहां बैठकर श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना कई जन्मों के पुण्य का फल होता है।
सिद्धाश्रम में सुबह 4:00 बजे मोल्द्ध मंदिर में मां जगत जननी जगदंबे मां की आरती होती है और सूर्योदय के ठीक समय में धर्म सम्राट युग चेतना पुरुष परमहंस योगीराज श्री शक्तिपुत्र जी महाराज इन 11 महाशक्तियों की आरती करते हैं।
अधिकांश मंदिरों के बारे में जब बताया जाता है तो यह विशेष रूप से उल्लेख किया जाता है कि इस मंदिर में जाने से मनोकामना पूर्ण होती है हम आपको बताना चाहते हैं मनोकामना मन का एक विकार है आज एक है तो कल दूसरी होगी, मां का भक्त बन जाने से हमारे जीवन में जिन मनोकामनाओं का पूर्ण होना हमारे हित में है मां जानती है हमें क्या देना है यह दिव्य धाम मनोकामनाओं के साथ साथ मुक्ति के लिए जाना जाता है, क्योंकि इस सिद्धाश्रम धाम में जाने वाला व्यक्ति अगर 24 घंटे रुकता है तो मां भगवती जगत जननी जगदंबा के आशीर्वाद से अवगुणों से मुक्त हो जाता है और मानव जीवन को मुक्ति तब तक नहीं मिल सकती है जब तक वह दुर्गुणों से मुक्त नहीं होता है सभी तीर्थ स्थलों का अपना महत्व है लेकिन पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम पहुंचने वाला व्यक्ति चाहे नशा करता हो मांस खाता हो चाहे जितने भी अवगुण हो या राक्षसी जीवन हो वह मानव बनाकर मां का भक्त बन जाता है और सत मार्ग पर चलने का प्रयास करता है, बिना सत्य मार्ग पर चले मानव की मुक्ति संभव नहीं है इसीलिए पंचज्योति शक्ति तीर्थ सिद्धाश्रम मुक्ति का द्वार आने वाले समय में विश्व की धर्मधुरी के नाम से जाना जाएगा।