Board Exams 2025: …तो क्या 10वीं-12वीं की परीक्षा दो बार होंगी! रिपोर्ट आते ही होगा अंतिम निर्णय
नई दिल्ली। अगले साल यानी वर्ष 2025 से दो बार बोर्ड परीक्षाओं को कराने की प्रस्तावित योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है। इसकी पहली वजह बोर्ड परीक्षाओं के परिणाम आने और स्कूलों या विश्वविद्यालयों में नए सत्र के होने वाले दाखिले के बीच दूसरी परीक्षा के लिए समय का नहीं होना है। दूसरी वजह बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार कराए जाने के पीछे छात्रों के तनाव को दूर करने का जो मकसद था, वह भी हल होते नहीं दिख रहा है। माना जा रहा है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की गई है, तो छात्र लंबे समय तक परीक्षाओं में ही फंसा रहेगा। यह परीक्षाओं से जुड़े उसके तनाव को कम करने के बजाय और बढ़ा सकता है।
छात्रों में बढ़ता तनाव
शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों के साथ साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने को लेकर रायशुमारी के बाद शिक्षा मंत्रालय और सीबीएसई के बीच इस दिशा में मंथन तेज हुआ है। सूत्रों की मानें तो शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से इसे लेकर विस्तृत रिपोर्ट भी देने को कहा है। माना जा रहा है कि रिपोर्ट के आने के बाद इस पर कोई अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। गौरतलब है कि इससे पहले शिक्षा मंत्रालय ने 2025 से दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं को साल में दो बार कराने का ऐलान किया था।
यह है अड़चन
विशेषज्ञों की मानें तो साल में दो बार बोर्ड परीक्षा कराने की योजना इसलिए भी उपयुक्त नहीं है, क्योंकि छात्रों का इससे तनाव खत्म होने के बजाय बढ़ेगा। अधिकतर छात्र जेईई मेंस की तरह दोनों परीक्षाओं में शामिल होंगे। ऐसे में दोनों परीक्षा की यह अवधि फरवरी से अगस्त तक हो सकती है। वहीं दूसरी परीक्षा कराने के लिए नई सिरे से सारी तैयारी करनी होगी।
छात्रों को अधिक बोर्ड फीस चुकानी होगी। इससे साथ ही दूसरी बड़ी चुनौती यह भी है कि अप्रैल से स्कूलों में नया सत्र शुरू हो जाता है। विश्वविद्यालयों में भी अप्रैल से दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। ऐसे में दूसरी परीक्षा के लिए समय कब मिलेगा। वहीं इन्हें कराया गया तो विश्वविद्यालय और स्कूल में उन्हें नए सत्र में दाखिला नहीं मिल पाएगा, क्योंकि दूसरी परीक्षा का परिणाम अगस्त से पहले नहीं आ सकता है।
बेसिक और स्टैंडर्ड पाठ्यक्रम
गणित की तर्ज पर स्कूली छात्रों को सहूलियत देने के लिए भाषाई विषयों के भी दो पाठ्यक्रम तैयार किए जा सकते है। इसके आधार पर ही उन्हें परीक्षा देने का मौका मिलेगा। साथ ही वह पास और फेल किए जाएंगे। स्कूली छात्रों में गणित के बाद भाषा से जुड़े विषयों के खराब प्रदर्शन को देखते हुए शिक्षा मंत्रालय ने भी मंथन तेज किया है। यह बात अलग है कि अभी इस पर अंतिम फैसला लिया जाना है।
भाषा के पाठ्यक्रम तैयारी
सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के स्तर पर इस संबंध में सारी जानकारी जुटाई जा रही है। इसके तहत भाषा के भी जैसे हिंदी, अंग्रेजी,तमिल और पंजाबी जैसे भाषा विषयों को लेकर बेसिक और स्टैंडर्ड पाठ्यक्रम तैयार किए जा सकते है। मौजूदा समय में गणित का बेसिक और स्टैंडर्ड दो पाठ्यक्रम है। इसमें जो छात्र गणित में कमजोर है, या उन्हें उससे डर लगता है, वह स्टैंडर्ड की जगह बेसिक का चयन कर सकते है।