नर शावक की मौत, बाघिन मार रही दहाड़, डर के साए में ग्रामीण
बालाघाट- वन परिक्षेत्र दक्षिण सामान्य वारासिवनी के तुमड़ीटोला सावंगी के चंदन नदी में एक नर शावक का शव मिला है जो चार से पांच दिन पुराना है। शावक की तलाश में बाघिन खेतों व गांवों तक पहुंचकर दिन में दहाड़ मार रही हैं। बाघिन की दहाड़ से तुमड़ीटोला सावंगी सहित आसपास गांवों के नागरिक भयभीत है। दहाड़ की आवाज डेढ़ किलोमीटर तक सुनाई देती है। इससे कई किसानों ने खेतों में जाना बंद कर दिया है।
खेती किसानी में जुटे लोग दोपहर बाद ही घर लौट आते हैं
तमाम किसान खतरे के बीच खेती किसानी में जुटे हैं और दोपहर बाद ही घर लौट आते हैं। शाम ढलने के बाद खेतों की ओर झांकते तक नहीं। किसानों का कहना है कि बाघिन दो शावकों के साथ करीब एक माह से तुमड़ीटोला सावंगी के अलावा अन्य गांवों तरफ विचरण कर रही है, परंतु एक शावक की मौत से वह दिन में भी दहाड़ती है जिससे लोग डरे सहमे हैं।
वन्यप्राणी विशेषज्ञ डा. आशीष वैद्य के अनुसार, बाघिन के शावक जब तक शिकार करने लायक तैयार नहीं हो जाते है, तब तक अपने साथ में रखती है। बाघिन शावक की तलाश करते हुए दहाड़ रही है यानि इसे शावकों को बुलाने वाला कालिंग मैसेज छोड़ना कहा जाता है। इस हालत में बाघिन के दहाड़ने की आवाज एक से डेढ़ किमी तक सुनाई देती है। शावक के दिखाई नहीं देने पर करीब एक माह तक उत्पात मचाते रहेगी और उसके बाद भूल जाएगी।
वन्यप्राणी विशेषज्ञ डा. आशीष वैद्य ने बताया कि ऐसे समय में बाघिन ज्यादा गुस्से में रहती है। मानव व पालतू पशुओं को अपना शिकार बना सकती है, इसलिए जिस क्षेत्र में बाघिन का मूवमेंट है वहां के लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है। दरअसल, वन परिक्षेत्र दक्षिण सामान्य वारासिवनी के तुमड़ीटोला सावंगी से चंदन नदी प्रवाहित होती है। यहां एक नर शावक का शव मिलने पर उसके चारों पंजे, दोनाें आंख, दांत व आधी खाल गायब थीं। शावक की तांत्रिक क्रिया करने शिकार किया गया या फिर उसकी पानी के तेज बहाव में बहने से मौत हुई है। वन विभाग जानकारी देने से बच रहा है। शावक का शव चार से पांच दिन पुराना है और इतने ही दिन से बाघिन जोर-जोर से क्षेत्र में दहाड़ मार रही है।
दो माह पूर्व ग्राम बोदलकसा, खापा, खंडवा के तरफ मूवमेंट था और अब सावंगी, तुमड़ीटोला, धानीटोला, भोलाटोला, बजरंगटोला के पास आ गई है। एक नर शावक की मौत के बाद से बाघिन दिन में दहाड़ मार रही है। ऐसे में किसान भयभीत नजर आ रहे है। वारासिवनी वन परिक्षेत्र के रमरमा, बोटेझरी, सिलेझरी, सावंगी, तुमड़ीटोला, बुदबुदा के अलावा कटंगी परिक्षेत्र के पूरे जंगल सिवनी पेंच और दक्षिण सामान्य वन्यप्राणी सोनेवानी लालबर्रा के वन्यप्राणी अनुभव क्षेत्र से लगे है। 2023 की बाघ गणना में 49 बाघ पाए गए है। साथ ही तेंदुए, भालू, बायसन, हिरण, चीतल, सांभर, लकड़बग्गा समेत अन्य वन्यप्राणी बहुतायत में पाए जाते है। ये वन्यप्राणी विचरण करते हुए खेतों और गांवों तक पहुंच रहे है।
किसानों ने बताया कि बाघिन व उसके शावकों को जंगल में भगाने के लिए कई बार वन विभाग को जानकारी दी गई, लेकिन बाघिन को भगाने कोई प्रयास नहीं किए गए। बताया गया है कि चंदन नदी में इतने दिन पुराना शावक का शव पाया गया। जिसकी बदबू मोटर पंप का पाइप नदी में लगाने गए एक किसान को 17 मार्च को आई। उसके बाद मृत शावक को देखा गया। इस क्षेत्र में यदि वनकर्मी, बीटगार्ड गश्ती करते तो पहले ही पता चल जाता। इससे प्रतीत होता है, वनकर्मी जंगल में गश्त नहीं करते है।