अजय प्रताप के इस्तीफे पर सीधी विधायक का बयान- व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के कारण हुआ अलगाव
-युवा मोर्चा से राज्यसभा सांसद तक पार्टी ने सब कुछ दिया
भोपाल- आज राज्य सभा सांसद के इस्तीफे के बाद सीधी विधायक रीती पाठक ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि
अजयप्रताप सिंह का पार्टी छोड़ना दुखद है और बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। भारतीय जनता पार्टी आज एक विशाल वटवृक्ष है, लेकिन जब भी कोई पत्ता टूटता है, तो उसका अहसास इस वृक्ष को होता है। भाजपा को उनके जाने का दुख है। उन्होंने किन परिस्थितियों में पार्टी छोड़ने का निर्णय लिया, यह तो मैं नहीं बता सकती, लेकिन उनका यह निर्णय भारतीय जनता पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता के अनुरूप नहीं है।
पार्टी ने उन्हें सब कुछ दिया
विधायक रीति पाठक ने कहा कि अजयप्रताप सिंह एक वरिष्ठ कार्यकर्ता और वरिष्ठ नेता रहे हैं। इतने सालों के उनके राजनीतिक जीवन में भारतीय जनता पार्टी ने उन्हें क्या-क्या नहीं दिया? युवा मोर्चा का प्रदेश महामंत्री बनाने के बाद उन्हें रचनात्मक प्रकल्प का संयोजक बनाया गया। उन्हें प्रदेश भाजपा का मंत्री और महामंत्री बनाया गया। दो-दो बार उन्हें विनिंग सीट से टिकट दिया गया। इसके बाद उन्हें राज्यसभा का सांसद बनाया गया। इन सबके अलावा पार्टी ने उन्हें सम्मान तो इतना दिया कि उन्हें भी कल्पना नहीं रही होगी। उन्हें किस बात का दुख हुआ है यह मैं समझ नहीं पा रही हूं। उनका इस्तीफा देना, या खुद को पार्टी से अलग करना यह बताता है कि कहीं न कहीं उनके मन में कोई व्यक्तिगत विषय या महत्वाकांक्षा रही होगी।
उन्होंने राष्ट्रनिर्माण के महायज्ञ से स्वयं को वंचित कर लिया
श्रीमती पाठक ने कहा कि अजयप्रताप सिंह ने ऐसे समय पर पार्टी का छोड़ने का निर्णय लिया है, जब एक राष्ट्रवादी नेतृत्व के मार्गदर्शन में पार्टी राष्ट्र निर्माण और विश्व की मंगल कामना के लिए किए जा रहे महायज्ञ की ओर बढ़ रही है। अनेक दलों से लोग आकर भाजपा से जुड़ रहे हैं, मोदी का परिवार बनना चाह रहे हैं। ऐसे में अजयप्रताप सिंह ने अपने आपको इस महायज्ञ में आहुति डालने से वंचित कर लिया है। उन्होंने कहा कि आज देश में एक मात्र भारतीय जनता पार्टी आदर्श दल बनकर उभरी है। उसका नेतृत्व आदर्श बनकर उभरा है। देश में बड़े-बड़े काम हो रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी बहनों को गैस कनेक्शन दे रहे हैं, धारा 370 और 35 ए हटाने जैसे काम हो रहे हैं, एक राष्ट्र और एक चुनाव की बात हो रही हो, ऐसे महत्वपूर्ण और क्रांतिकारी समय में अगर कोई अपनी इच्छापूर्ति न हो पाने के कारण पार्टी छोड़ दे, ऐसे नेतृत्व का साथ छोड़ दे, जिसने भारतमाता की सेवा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया हो, तो यह निश्चित रूप से प्रश्न खड़े करता है।