अग्निवीर योजना पर कांग्रेस का तीखा प्रहार, सचिन पायलट बोले- सेना की भर्ती प्रक्रिया के साथ किया खिलवाड़…
जयपुर. दिल्ली में AICC ऑफिस पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने सेना की अग्निवीर योजना को लेकर कहा कि “केंद्र ने पैसा बचाने के लिए भर्ती प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ किया है. अग्निवीर योजना देश के युवाओं के साथ एक धोखा है. पायलट ने कहा कि देहात के लड़के जो सेना में जाने का सपना देखते थे, उनके साथ बीजेपी ने छल किया है.” लोकसभा चुनाव से पहले अग्निपथ योजना को लेकर कांग्रेस का यह रुख युवा वोटर को लेकर अहम रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. पायलट ने बताया कि मोदी सरकार ने 14 जून 2022 को अग्निपथ योजना की घोषणा की थी. सरकार का यह निर्णय एकतरफा था. पायलट ने बताया कि “इसमें कहा ये गया था कि सेना में भर्ती अग्निपथ योजना के माध्यम से की जाएगी, जिससे सेना की औसत आयु को कम किया जाएगा और सेना का आधुनिकीकरण होगा, जबकि मोदी सरकार ने इस योजना को पैसा बचाने के लिए शुरू किया था.”
डिफेंस एक्सपोर्ट का पैसा आए सैनिकों के काम : प्रेस वार्ता के दौरान सचिन पायलट बोले की एक तरफ सरकार का कहना है कि हम डिफेंस एक्सपोर्ट से बहुत पैसा कमा रहे हैं, आत्मनिर्भर हुए हैं. ऐसे में अगर हम डिफेंस सेक्टर में इतने सक्षम हो रहे हैं, तो सरकार को हमारे सैनिकों के जीवन, उनकी पेंशन और परिवार की सुख-सुविधाओं के लिए काम करना चाहिए. पायलट ने कहा कि अग्निपथ योजना का कांग्रेस पार्टी ने शुरुआत से ही विरोध किया है, क्योंकि ये सेना के साथ खिलवाड़ है.
सेना की भर्ती प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ : सचिन पायलट ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार G-20 आयोजन, प्रधानमंत्री के हवाई जहाज, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट और अपने प्रचार पर करोड़ों रुपए खर्च कर सकती है, तो केवल पैसा बचाने के लिए सेना की भर्ती प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ करना देश की सुरक्षा के लिए चुनौती बन सकता है. उन्होंने पूछा कि “चार साल बाद ये लोग कहां जाएंगे. कॉस्ट कटिंग के चक्कर में हम सेना की भर्ती प्रक्रिया के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. क्योंकि चार साल की नौकरी के बाद जो लोग कम उम्र में रिटायर्ड हो जाएंगे, उनके भविष्य का कोई पता नहीं है. उनको पेंशन भी नहीं मिलेगी, जो 11 लाख रुपए की ग्रेच्युटी मिलेगी, वो भी अग्निवीरों के वेतन से काटी जा रही है.” पायलट बोले कि एक्स सर्विसमैन के लिए जो पूर्व आरक्षित पद हैं, उसमें सिर्फ 2.49 प्रतिशत लोगों की भर्ती की गई है.