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जिले के हिस्से फिर आई निराशा, मंत्रीमंडल में नहीं मिला सीधी को स्थान

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जिले के हिस्से फिर आई निराशा, मंत्रीमंडल में नहीं मिला सीधी को स्थान

– विगत 20 वर्षों से जारी है बनवास लोगों की आशाओं पर फिरा पानी

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आज दोपहर मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल का विस्तार संपन्न हो गया। मंत्रिमंडल का विस्तार होने के साथ ही सीधी जिले के हिस्से में एक बार फिर से केवल निराशा ही आई, और भाजपा शासन काल में चल रहा सीधी जिले का बनवास अभी भी कायम है। चुनाव परिणाम आने के बाद से ही सीधी जिले के लोग मंत्री पद की आस में बैठे थे।जिले से तीन-तीन विधायक देने के बाद उन्हें इस बात की उम्मीद थी कि इस बार सीधी जिले का बनवास खत्म होगा और भाजपा शासन काल में कम से कम एक मंत्री पद तो सीधी जिले के हिस्से में आएगा लेकिन आज संपन्न हुए शपथ ग्रहण समारोह के बाद उम्मीद भी समाप्त हो गई भाजपा से सीधी विधानसभा की निर्वाचित विधायक रीती पाठक और धौहनी से विगत चार बार के विधायक कुंवर सिंह टेकाम ये दोनों मोहन मंत्रिमंडल में अपनी जगह नहीं बना पाए। इसके बाद एक बार फिर सीधी जिला खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है।

गौरतलब है की 2003 में जब भाजपा मध्य प्रदेश में सत्ता में आई तब से लेकर आज 2023 तक विगत 20 वर्षों में सीधी जिले ने भाजपा को कभी निराश नहीं किया। कभी दो तो कभी तीन विधायक सीधी जिले से चुनकर भाजपा खेमे से भोपाल पहुंचाते रहे, बावजूद इसके मंत्री पद की सौगात राजधानी से जिले को नहीं मिली। हां आसपास के जिलों में यह पद अक्सर जाते रहे। सीधी जिले से कई कई बार के विधायक रहे वरिष्ठ लोगों को भी इस उपेक्षा का शिकार होना पड़ा पूर्व विधायक केदारनाथ शुक्ला इसका उदाहरण है जिनका नाम कई बार मंत्री पद के लिए चर्चा में रहा लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। इसी प्रकार कुंवर सिंह टेकाम भी विगत चार बार से विधायक हैं फिर भी मंत्री पद उन्हें नसीब नहीं हुआ ।लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद से ही जिले वासियों को बड़ी लंबी उम्मीद थी। सीधी की वर्तमान विधायक रीती पाठक का नाम मुख्यमंत्री पद की दौड़ तक में शामिल रहा लेकिन हालात यह रहे की उन्हें सामान्य सा मंत्री तक नहीं बनाया गया।

कांग्रेस ने हर बार जिले को दिया मंत्री

जिले वासियों ने भाजपा पर उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि केवल भाजपा ने ही सीधी जिले की अपेक्षा की है। जबकि कांग्रेस ने हर बार जिले को मंत्री दिए हैं और एक नहीं दो-दो मंत्री दिए हैं कभी काग्रेस का जमाना था कि जब सीधी जिले में दो-दो मंत्री एक साथ हुआ करते थे। कमलेश्वर द्विवेदी, इंद्रजीत पटेल, अजय सिंह राहुल यह सब उदाहरण है। और कांग्रेस ने तो जिले को अर्जुन सिंह के रूप में मुख्यमंत्री भी दिया था। हालही की बात करे तो भले ही 15 महीने की सरकार कांग्रेस की आई हो उस दौर में भी कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल के रूप में सीधी जिले को मंत्री दिया था लेकिन भाजपा के 20 वर्षों के शासनकाल में सीधी जिले को मंत्री पद नसीब नहीं हो सका इसके पीछे क्या कारण है यह समझ से परे है लेकिन लोगों की आशाएं आज एक बार फिर निराशा में बदल गई।

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