Search
Close this search box.

Re. No. MP-47–0010301

बदहाली और लापरवाही का शिकार सेमरिया अस्पताल

Advertisement

बदहाली और लापरवाही का शिकार सेमरिया अस्पताल

30 बिस्तर वाले अस्पताल पर आश्रित 100 से अधिक गांव

Advertisement

सीधी_ जिले के सेमरिया क्षेत्र में संचालित 30 बिस्तर वाला अस्पताल बदहाली और लापरवाही के चलते लोगों के लिए समस्या बना हुआ है दूरदराज से आने वाले मरीजों को यहां की लापरवाही का खामियाजा भुगतान पड़ता है शासन ने भले ही यहां सभी सुविधाएं मुहैया कराने का कागजी ऐलान किया हो लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है यहां पर कर्मचारियों की भारी कमी है जिसके कारण स्वास्थ्य सुविधाएं बादहाल पड़ी हुई है और जो कर्मचारी पदस्थ भी है वह अपने अलग ही रवैया में रहते हैं जिसके कारण आए दिन लोगों को भटकते हुए देखा जाता है समय पर यहां ना तो डॉक्टर मिलते हैं ना ही अन्य कर्मचारी यहां की स्थिति तो यह है कि किसी को यदि चोट लग जाए तो मलहम पट्टी करने वाले तक की व्यवस्था नहीं है बावजूद इसके शासन के करोड़ों रुपए हर माह यहां खर्च हो रहे हैं।

सेमरिया अस्पताल एक नजर में

जिला अस्पताल सीधी के बाद सेमरिया एक बहुत ही बड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र है 30 बिस्तर वाले इस अस्पताल के अंतर्गत करीब 100 से अधिक गांव आते हैं। जबकि बात करें यहां की स्टाफ की तो चार डॉक्टरों के पद स्वीकृत है। जिनमें से यहां एक रेगुलर डॉक्टर, एक संविदा और एक अन्य डॉक्टर बांड पर यहां पर पदस्थ हैं। इसके अतिरिक्त यहां नर्स के 7 पद हैं जो पूर्ण भरे हुए हैं। जबकि ड्रेसर और कंपाउंड इस अस्पताल में है ही नहीं। एक ड्रेसर जो रिटायर हो चुका है आवश्यकता पड़ने पर उसे अस्पताल द्वारा बुलाया जाता है। एक मेल स्टाफ नर्स पदस्थ हैं।लैब की बात करें तो यहां पर सभी तरह की जांच सुविधाएं उपलब्ध होने की बात सामने आती है लेकिन यहां एक्स-रे की सुविधा नहीं है जबकि यहां पर एक्स-रे मशीन कुछ वर्षों पहले लाई गई थी लेकिन स्थान और मशीन ऑपरेटर की कमी के कारण वह आज तक शुरू नहीं हो सकती है और मशीन रखे रखे कबाड़ हो गई हालांकि वर्तमान में डिजिटल एक्सरे मशीन लगने वाली है। यहां पर नॉर्मल डिलीवरी की सुविधा है जबकि केस बिगड़ने पर रेफर कर दिए जाते हैं। यहां एक एंबुलेंस है जबकि शव वाहन की सुविधा नहीं है।

आए दिन आए बैंरग लौटते हैं मैरिज

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरिया में आए दिन डॉक्टरों की गैर मौजूदगी की खबरें और शिकायतें आम है। यहां भले ही तीन-तीन डॉक्टर पदस्थ हैं लेकिन यहां आने वाले लोगों को अक्सर इलाज नहीं मिल पाता है। कारण की डॉक्टर ज्यादातर अस्पताल में रहते ही नहीं है और सपोर्टिंग स्टाफ प्राथमिक उपचार के बाद मरीज को रेफर कर देता है। यहां डॉक्टरों की पदस्थापना तो सेमरिया में है लेकिन डॉक्टरों का निवास जिला मुख्यालय सीधी में है जिससे मरीजों को परेशानी होती है यहां तक की पोस्टमार्टम करने के लिए भी दिन भर का इंतजार करना पड़ता है। रात में तो स्थिति और भी बदतर हो जाती है। या तो डॉक्टर रहते नहीं है या फिर अपने कमरे में सोते रहते हैं नसों के भरोसे मरीजों का इलाज होता है।कई बार अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही और इलाज न मिलने के कारण यहां पहुंचने वाले मरीजों की मौत भी हो चुकी है जिसके चलते परिजनों एवं ग्रामीणों द्वारा प्रदर्शन भी किए गए थे।

फाइल फोटो
प्रदर्शन करते मरीज और परिजन

30 बिस्तर वाले इस अस्पताल में कई गांव के लोग आते हैं जिससे यहां स्थान की भी समस्या बनी रहती है। बिजली की समस्या भी इस अस्पताल की एक प्रमुख समस्या है ग्रामीण इलाका होने के कारण यहां बिजली की आवाजाही बनी रहती है बावजूद इसके यहां जनरेटर की सुविधा नहीं है। पूर्व CMHO के समय में जनरेटर खरीदी की बात सामने आई थी लेकिन अभी तक वह जनरेटर अस्पताल नहीं पहुंच सका है ।

अस्पताल की अन्य समस्याओं की बात करें तो यहां डॉक्टर समय पर नहीं रहते हैं लोगों की शिकायत है कि यहां पहुंचने वाली प्रसूति महिलाओं को जांच के लिए यहां वहां भटकना पड़ता है भले ही जांच के लिए सभी सुविधाएं यहां पर उपलब्ध हैं लेकिन महिलाओं को जांच के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है इसका कारण यहां पदस्थ CHO है जो कहीं दूसरी जगह बैठती है और महिलाओं को जांच करने 1 किलोमीटर दूर अस्पताल आना पड़ता है इसी आवाजाही में वह भटकती देखी जाती हैं।

चिकित्सकों के कमरे में लटकते ताले

यहां कंपाउंड और ड्रेसर ना होने के कारण घायल होकर पहुंचने वाले मरीजों को कोई टाका लगाने एवं पट्टी करने वाला नहीं है। मजबूरन रिटायर्ड कर्मचारी को बुलाना पड़ता है। दवाओं के नाम पर यहां केवल गोलियां दी जाती है। जबकि टिटनेस व अन्य इंजेक्शन यहां उपलब्ध ही नहीं रहते हैं। ना ही यहां कोई अन्य दवाई दी जाती है,

आशा कार्यकर्ताओं को नहीं मिला है किट

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सेमरिया के अंतर्गत करीब 100 से 200कार्यकर्ताएं कार्यरत हैं जिन्हें फील्ड का दायित्व सौंपा गया है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि इन्हें मिलने वाला किट महज 10 से 20 प्रतिशत आशा कार्यकर्ताओं को ही मिल सका है। जबकि शेष आशा कार्यकर्ताएं बिना किट के ही कार्य कर रही है। सूत्रों की माने तो किट के नाम पर मिलने वाली मोटी राशि प्रबंधन द्वारा हजम कर ली गई है। जिसके कारण इन्हें किट उपलब्ध नहीं हो सकी है। इस किट के आभाव में फील्ड में बच्चों एवं महिलाओं की जांच एवं अन्य सुविधाएं आशा कार्यकर्ताओं द्वारा नहीं दी जा रही है।स्वास्थ्य विभाग से संचालित एनएचएम में भारी घोटाले की भी सूचनाओं प्राप्त होती रहती हैं यहां अस्पताल मैनेजमेंट कायाकल्प खरीदी वह अन्य चीजों के नाम पर लंबा खेल चलता है जिससे आला अफसर मजे में है जबकि सुविधाएं जस की तस बनी हुई है।

कुल मिलाकर जिले की स्वास्थ्य सुविधाएं यहां पदस्थ आला अधिकारियों की अनदेखी, मनमानी और हित लाभ के चलते बादहाल होती जा रही है। शासन द्वारा स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं बेहतर सुविधाएं देने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन पदस्थ नौकरशाहों की मनमानी सरकार की योजनाओं पर पलीता लगा रही है आवश्यकता है यहां सुधार और जांच की

Leave a Comment

Recent Post

Live Cricket Update

You May Like This

error: Content is protected !!