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मध्यान भोजन बनी कमाई का जरिया, नहीं किया जा रहा मेनू का पालन

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मध्यान भोजन बनी कमाई का जरिया, नहीं किया जा रहा मेनू का पालन

बच्चों को परोसा जा रहा घटिया चावल दाल एवं नाम मात्र की सब्जी

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संदीप श्रीवास्तव
सिंगरौली/चितरंगी। एक तरफ जहां सरकार द्वारा शिक्षा के प्रति आकर्षण पैदा करने के लिए निशुल्क ड्रेस छात्रवृत्ति पुस्तक वी मध्यान भोजन जैसी तमाम योजनाएं चलाई जा रही है लेकिन मध्यान भोजन योजना सिर्फ कमाई का जरिया बनकर रह गई है।
मामला सिंगरौली जिले के जनपद शिक्षा केंद्र चितरंगी अंतर्गत शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय गुलरिया से है जहां मध्यान भोजन के लिए दो समूह चलाए जा रहे हैं जिसमें प्राथमिक के लिए लक्ष्मी स्व सहायता समूह एवं माध्यमिक के लिए प्रधान स्व सहायता समूह वर्तमान में कार्यरत हैं।जिसमें माध्यमिक के प्रधान स्वच्छता समूह द्वारा बच्चों के मध्यान भोजन में गड़बड़ी की बार-बार शिकायत मिलने के बाद 20 दिसंबर 2023 दिन बुधवार को पत्रकारों द्वारा कवरेज करने पर पाया गया की बच्चों को मध्यान भोजन में प्रधान सहायता समूह द्वारा घटिया चावल पतली दाल एवं नाम मात्र की केवल आलू की सब्जी परोसी गई जबकि मेनू में बुधवार के दिन चावल के साथ चने की दाल हरी सब्जी दर्शाया गया था लेकिन वहां कोई हरी सब्जी नहीं दिखी वहीं लक्ष्मी स्व सहायता समूह में मेनू के अनुसार भोजन बना था।
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार बताया गया कि प्रधान स्वयं सहायता समूह के संचालक द्वारा बच्चों की उपस्थिति के अनुसार राशन नहीं दिया जाता।वही जांच में पाया गया की बच्चों के उपस्थिति के अनुसार 13 किलो चावल 2 किलो 700 ग्राम दाल 6 किलो सब्जी बनवाना थाजिसमें 12 किलो चावल 1 किलो 500 ग्राम दाल 2 किलो सब्जी ही प्रधान स्व सहायता समूह संचालक द्वारा बनवाया गयाजिसमें बच्चों के लिए भर पेट भोजन भी नहीं हुआ।वही रसोइयों से बच्चों को भरपेट भोजन न मिलने का कारण पूछा गया तो रसोइयों द्वारा बताया गया कि हमें समूह संचालक द्वारा जितना राशन दिया जाता है उतना बनाती हूं इसमें हमारी क्या गलती है।इतना ही नहीं उनके द्वारा यह भी बताया गया कि समूह संचालक द्वारा गैस सिलेंडर भी नहीं भरवारा जाता जिससे हम सब लकड़ी से खाना बनाने के लिए मजबूर हैं और बोलने पर समूह संचालक द्वारा हमें निकालने की धमकी दी जाती है।इस संबंध में समूह संचालक भागवत साकेत से बात करने पर बताया गया कि हमें ऊपर से जितना बजट आता है उतना कर रहे हैं वही मध्यान भोजन के बारे में बात की गई तो समूह संचालक अभद्र भाषा में जवाब देते हुए बोला गया कि जो था वो बना है अब क्या मुर्गा मछली बनवाए सिलेंडर के लिए हमें बजट नहीं आता और हमारे खाते में पैसे भी कम आ रहे हैं।अब सवाल यह है कि मध्यान भोजन में इतनी बड़ी गड़बड़ी का जिम्मेदार कौन है मैं ध्यान भोजन की गड़बड़ी को लेकर आए दिन लगातार मीडिया द्वारा खबरें प्रकाशित की जा रही लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के कान में जूं क्यों नहीं रेंग रही है।कहीं ऐसा तो नहीं की सब की मिली भगत से इस तरह के कारनामें हो रहे हैं।समूह संचालकों की इस तरह की रवैया से साफ पता चलता है की जिम्मेदार अधिकारियों के जानकारी में बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

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