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सिगनेचर और सैलरी तक सीमित सीधी का स्वास्थ्य अमला,दोहरी कमाई के फेर में हो रही मौतें

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सिगनेचर और सैलरी तक सीमित स्वास्थ्य अमला,दोहरी कमाई के फेर में हो रही मौतें

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अस्पताल पहुंचे मरीज कि इलाज के आभाव में मौत
परिजनों ने किया अस्पताल में हंगामा

सीधी- जिले में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का आलम यह है कि डाक्टर महज सिगनेचर और सैलरी तक सीमित है। इनकी दोहरी कमाई के फेर में आए दिन मरीजों कि मौतें हो रही है। परेशान परिजन इधर-उधर भटकते देखे जा रहे हैं। ऐसा ही एक वाक्या मंगलवार शाम जिला चिकित्सालय सीधी में आया जहां अस्पताल पहुंचे एक मरीज को डॉक्टर ने महज एक नजर देखकर अपने सहायक को सौंप दिया और चलते बने। इसके बाद मरीज की मौत हो गई। मरीज कि मौत के बाद परिजनों द्वारा अस्पताल में हंगामा भी किया गया लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं दिखा।

जी हां बता दे की मंगलवार शाम करीब पांच और छह बजे के बीच जय कुमार सेन उम्र 29 साल निवासी नौढ़िया थाना जमोड़ी को उसके परिजन जिला अस्पताल सीधी लेकर पहुंचे। परिजनों के बताएं अनुसार जयकुमार सेन ने किसी जहर का सेवन कर लिया था, हालांकि उसकी हालत तब तक बिगड़ी नहीं थी, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां ड्यूटी में तैनात चिकित्सक द्वारा एक नजर देखने के बाद अपने सहायक को मरीज के इलाज के लिए निर्देशित किया गया और वह चलते बने इसके बाद करीब 3 घंटे के इलाज के दौरान मरीज की हालत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई मरीज की मौत के बाद परिजनों द्वारा अस्पताल में हंगामा किया जाने लगा और आरोप लगाया गया कि उचित इलाज के अभाव में उनके मरीज की मौत हो गई है।

मृतक के परिजनों द्वारा बताया गया कि जब मरीज को अस्पताल लाया गया तो उसकी हालत गंभीर नहीं थी मृतक जय कुमार द्वारा संपूर्ण जानकारी स्वयं दी गई कि कौन सा जहर खाया है और वह पूरी तरह से बात करता हुआ अस्पताल आया। लेकिन अस्पताल आने के बाद किसी वरिष्ठ चिकित्सक से इलाज न मिलने के कारण धीरे-धीरे उसकी हालत बिगड़ने लगी और करीब 3 घंटे नर्स और सहायक स्टाफ जितना उनसे बना उन्होंने उसका इलाज किया बावजूद इसके मरीज की मौत हो गई परिजनों द्वारा कहा गया कि मृतक जयकुमार सेन की तीन बच्चियों हैं जिनकी देखभाल करने वाला अब कोई नहीं है अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते उसकी जान गई है। यदि कोई अच्छा डॉक्टर होता और उसे समय पर सही इलाज मिलता तो मरीज की जान बच जाती। परिजनों द्वारा यह भी आरोप लगाया गया कि उन्हें मरीज को प्राइवेट अस्पताल में नहीं ले जाने दिया गया उसे यहां से डिस्चार्ज ही नहीं किया गया और यहीं पर बिना किसी वरिष्ठ चिकित्सक के उसका इलाज किया जाता रहा जिसके चलते उनके मरीज की जान गई है। देर रात तक परिजनों द्वारा इस बात को लेकर नाराजगी भी जाहिर की जाती रही लेकिन इस पर किसी के द्वारा कोई संज्ञान नहीं लिया गया।

बता दे की अक्सर ऐसे मामले जिला चिकित्सालय या अन्य सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में आते रहते हैं जहां अस्पताल पहुंचे मरीजों को उचित चिकित्सा और दावाओं के अभाव में मौत के मुंह में जाना पड़ता है, या फिर भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। निर्धारित समय अवधि में स्वास्थ्य संस्थानों में चिकित्सक न मिलने की शिकायते आए दिन सामने आती रहती हैं, लेकिन जिम्मेदार इस ओर कोई ध्यान ही नहीं देते। जिला चिकित्सालय में पदस्थ चिकित्सक अक्सर अपने घरों पर मरीज को देखते हुए पाए जाते हैं, और कुछ चिकित्सक तो प्राइवेट हॉस्पिटलों में भी अपनी सेवाएं देकर दोहरी इनकम की जुगाड़ में लगे रहते हैं। जिसका खामियाजा कहीं ना कहीं अस्पताल पहुंचने वाले बेबस और गरीब लोगों को भुगतना पड़ता है।

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