एमपी के 7.5 लाख कर्मचारी महंगाई और 4.5 लाख सेवानिवृत्त कर्मचारी राहत भत्ते के इंतजार में…
भोपाल_ प्रदेश में एक बार फिर भाजपा की नई सरकार बन गई है। उज्जैन दक्षिण विधानसभा क्षेत्री से तीसरी बार चुनाव जीते डा. मोहन यादव को मुख्यमंत्री बनाया चुका है। अब मंत्री-मंडल के गठन को लेकर भाजपा आलाकमान मंथन कर रही है, लेकिन नई सरकार आने पर भी प्रदेश के कर्मचारियों का चार प्रतिशत महंगाई भत्ता नहीं बढ़ा है। इससे तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ मप्र के पदाधिकारियों समेत 7.5 लाख कर्मचारियों व 4.5 लाख सेवानिवृत कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ती जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि नई सरकार ने एक जुलाई से वर्तमान कर्मचारियों को चार प्रतिशत महंगाई भत्ता और सेवानिवृत कर्मचारियों को चार प्रतिशत राहत भत्ता देने का आदेश जारी नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने पहली प्रेस वार्ता में धार्मिक स्थलों पर तेज आवाज में लाउड स्पीकर बजाने और खुले में मांस की बिक्री पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन कर्मचारियों को मंहगाई भत्ता देना भूल गए। वहीं छत्तीसगढ़ व राजस्थान में वहां के कर्मचारियों को भत्ता देने का आदेश हो गया। इससे मप्र के कुल 12 लाख वर्तमान व सेवानिवृत कर्मचारियों को हर माह 620 से 5640 रुपये तक नुकसान हो रहा है।
इतना मिलना है भत्ते का लाभ
प्रथम श्रेणी कर्मचारी : 4924 से 5640 रुपये
द्वतीय श्रेणी कर्मचारी : 2244 से 3196 रुपये
तृतीय श्रेणी कर्मचारी : 780 से 1308 रुपये
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी : 620 से 720 रुपये
सरकार ने नहीं सुनीं
तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ मप्र के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी ने बताया कि सरकार हर वर्ष एक जनवरी और एक जुलाई को महंगाई भत्ता देती है। एक जुलाई को महंगाई भत्ता देना था, जो विधानसभा चुनाव के चलते टाल दिया। अगस्त, सितंबर तक शिवराज सरकार ऐलान करने के बाद टालती रही। फिर अक्टूबर में आदर्श चुनाव आचार संहिता लग गई। मंहगाई व राहत भत्ता देने का प्रस्ताव चुनाव आयोग को भेजा गया। देरी होने से आयोग ने नई सरकार के गठन पर छोड़ दिया। अब नई सरकार आ गई है। इसके बाद भी एक जुलाई से चार प्रतिशत महंगाई व राहत भत्ता देने में देरी की जा रही है