शहर के बाईपास पर पियक्कड़ों के लिए है समूची व्यवस्था, पुलिस कालोनी के बाहर बिकती है शराब
सीधी_ जिले के पुलिस मुहकमे द्वारा भले ही लंबे चौड़े दावे किए जाते हैं और नशे पर पाबंदी के लिए कड़े निर्देश दिए जाते हैं लेकिन इन दावों का दम शहर के बाईपास किनारे खुले ढाबे बखूबी निकाल रहे हैं। जहां शाम होते ही पियक्कड़ों का जमावड़ा लगता है और आपस में पैमाने टकराते हैं खास बात यह है कि यहां केवल बैठने की ही व्यवस्था नहीं है बल्कि हर तरह की शराब भी उपलब्ध है।
ऐसा सुना गया है कि पुलिस कप्तान रवींद्र वर्मा द्वारा थाना प्रभारियो को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि नशे का अवैध कारोबार जिले में नहीं चलना चाहिए और उनके द्वारा नशे पर सख्त कार्रवाई की जा रही है लेकिन कहते हैं ना दीपक तले अंधेरा होता है ऐसा ही कुछ हाल जिले का है दूरस्थ इलाकों तो दूर शहर ही में इनके दावों की पोल खुल रही है। एक ओर जहाँ नवीन पुलिस कालोनी नौढ़िया के ठीक बाहर लम्बे समय से शराब कि बिक्री जारी है तो वही शहर के दक्षिणी छोर पर स्थित बाईपास के किनारे संचालित करीब आधा दर्जन ढाबो में शराब का अवैध कारोबार धडंल्ले से चल रहा है और यहां ढाबा संचालकों द्वारा लोगों को शराब पड़ोसी जा रही है कुछ ढाबे तो इसीलिए प्रसिद्ध भी हैं और सब इस बात को जानते हैं लेकिन न जाने क्यूं जिम्मेदार इस बात से अनजान है।
शाम होते ही लगता है पियक्कड़ों का मेला
शहर से दूर एकांत में पीने वालों का मेला शाम होते ही लगने लगता है और इन ढाबों में स्वतंत्र रूप से बैठकर पियक्कड़ अपनी महफिल में रंग जमाते हैं बिना किसी कार्रवाई के डर के संचालकों द्वारा इन्हें भोजन के साथ शराब उपलब्ध करवाई जाती है। कुछ संचालकों द्वारा तो यह भी दावा किया जाता है की बैठिए यहां पुलिस नहीं आती, कुछ छुपा कर ढ़ाबो के पीछे शराब रखते हैं और ऑर्डर देने पर मनचाहा ब्रांड उपलब्ध करवाते हैं। हालांकि इन ढ़ाबो पर दाम बढ़े हुए होते हैं लेकिन सरलता से इस स्थान पर शराब मिलने के कारण पीने वाले इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देते।
नशे की हालत में होती है दुर्घटनाएं
ज्यादातर देखा गया है कि सड़क दुर्घटनाएं नशे के हालात में ही होती हैं और हाईवे के किनारे संचालित यह ढाबे अवैध शराब ठेको की तर्ज पर काम कर रहे हैं जिनके कारण नशाखोरी को बढ़ावा मिल रहा है। युवा वर्ग इस ओर ज्यादा आकर्षित होता है, साथ ही सड़क पर चलने वाले लॉन्ग रूट के वाहन चालक भी यहां से अपने नशे की ललक को समाप्त करते हैं और कहीं ना कहीं आगे जाकर दुर्घटनाओं को कारित करते हैं।
पेट्रोलिंग के अभाव में हौसले हुए हैं बुलंद
ज्यादातर ढाबा संचालको में पुलिस का भय नहीं देखा जाता है दिन-रात बराबर यहां शराब की बिक्री चलती रहती है यहां तक की जब लाइसेंसी दुकान बंद होती हैं तो इनकी बिक्री दो से चार गुना बढ़ जाती हैं करण की शराब ठेकेदारों द्वारा सीधे इन ढाबों में शराब पहुंचाई जाती है और ढाबा संचालक उन्हें मनमानी दाम पर लोगों को उपलब्ध करवाते हैं हालांकि इन तमाम बातों से जिले का जिम्मेदार अमला भी वाकिफ है लेकिन न जाने क्यों वह इस ओर ध्यान नहीं देता। ढाबों की बात करें तो ज्यादातर चर्चित हैं जिनका नाम उल्लेखित करना उचित नहीं होगा फिर भी शहर के बाईपास पर खुले ढाबे नशे के ठिकाने बने हुए है जिन पर लगाम लगाने कि जरूरत है।