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बस संचालकों के आगे बेबस यात्री, मनमानी किराया और धमकी….?

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सीधी- सीधी  बस स्टैंड पर करीब 170 बसें पहुंचती हैं। किसी में भी किराया सूची चस्पा नहीं है। बसों में किराया सूची नहीं होने से यात्रियों को किराए की जानकारी नहीं मिल पाती है, इसका फायदा उठाकर बस कंडक्टर ज्यादा किराया वसूल रहे हैं। मजबूरन यात्रियों को ये बढ़ा हुए किराया चुकाना पड़ रहा है। इसकी शिकायत के बाद भी बस संचालकों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। दरअसल किराया सूची न होने के कारण बस कंडक्टर और यात्रियों में आए दिन विवाद की स्थिति बनती है। परिचालक यात्रियों से मनमाना किराया वसूलते हैं और जब कोई यात्री इसका विरोध करने की हिम्मत दिखाता है तो बस चालक और परिचालक उसे रास्ते में ही बस से उतारने की धमकी देने के साथ बस में बैठी सवारियों के बीच बदसलूकी करने को तैयार रहते हैं। बसों में आरटीओ की ओर से किराया सूची, लाइसेंस व परमिट की डिटेल, फर्स्ट एड बॉक्स, अग्निशमन सिलेंडर आदि होना जरूरी है।

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*बस मे महिलाओं व दिव्यागों की फजीहत-*

फोरलेन हाइवे पर टूरिस्ट परमिट बसों में सवारियों को ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। इससे कभी भी हादसे की आशंका बनी हुई है। इस वजह से हाइवे का यह सफर लोगों के लिए मौत का सफर बनता जा रहा है। ज्यादा सवारियां बैठा कर यातायात व्यवस्था चौपट की जा रही है, जिससे हर रोज यात्रियों के जान पर संकट मंड़रा रहा है। इतना ही नहीं टूरिस्ट परमिट बस संचालकों द्वारा बसों में महिलाओं और दिव्यांगों के लिए भी आरक्षित सीट नहीं दी जा रही है। न ही बसों में किराया सूची चस्पा की गई है,जिससे मनमाना किराया बस संचालक वसूल रहे हैं। खास बात यह है कि पुलिस व प्रशासन के जिम्मेदार लोग मौन साधे हुए है और इन बिगड़ते हालातों पर कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिससे स्थिति बिगड़ती जा रही है। बसों पर कार्रवाई करने से जिम्मेदार कतरा रहे है।

*टूरिस्ट परमिट के नाम बस संचालन*

जिले मे एक दर्जन से अधिक टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों का संचालन किया जा रहा है।बस संचालकों की दबंगई के कारण यात्री शिकायत करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते है।प्रायः देखा जाए तो टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों में भेड़ बकरियों की तरह यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर भरकर सवारी बस में कैसे इस्तेमाल कर सकतें है ,इन बसों में यात्रियों के साथ-साथ लगेज को भी ठूंस-ठूंस कर भरा जा रहा है। साथ ही पूरे बस का करियर ग्रामीणों के बोरे से भरा होता है। ऐसी बसों को तुरंत जब्त कर लेना चाहिए थी। इसकी जांच करने के बजाय मात्र दो-तीन दिनों तक अलग-अलग बस संचालकों से जुर्माना वसूल कर उन्हें फिर से खुलेआम छूट दे दी जाती हैं।

*नियमों को दरकिनार कर बसों का संचालन*

बसों में किराया सूची नहीं होने से इसका लाभ कंडक्टर व चालक उठा रहे हैं और मनमाना किराया यात्रियों से ले रहे हैं। वहीं रात में चलने वाली बसों में क्षमता से अधिक यात्रियों को गैलरी में बैठाकर लंबी यात्रा के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। बस संचालकों द्वारा यात्रियों की सुविधा को अनदेखा करने से लोगों में काफी आक्रोश है। यात्रियों का कहना है कि निजी यात्री बस संचालकों की मनमानी पर परिवहन विभाग द्वारा अंकुश नहीं लगाने के कारण लंबी दूरी व ग्रामीण अंचलों तक चलने वाली बसों में लोगों की यात्रा बेहद कष्टदाई हो गई है।

*निर्देशों का पालन नहीं कर रहे*

बस संचालक यात्रियों से मनमाना किराया न वसूल सकें और बस संचालकों और यात्रियों के बीच तू-तू ,मैं-मैं की स्थिति न आए,इसके लिए आरटीओ एक बैठक तक नहीं पाए जिसमें बस संचालकों को साफ निर्देश दिए जा सके कि यात्रियों के किसी भी प्रकार की अभद्रता नहीं की जाए। इसके साथ ही समय समय पर निर्देशित किया जा सके। इसके बावजूद भी बस संचालको ने ध्यान नहीं दिया।

*नहीं हो रही बसों के विरुद्ध कार्रवाई*

यात्रियों कि माने तो कि किसी भी बस में किराया सूची नहीं लगाने से मनमाना किराया का भुगतान करना पड़ रहा है। इन दिनों बस मालिकों में फिर से प्रतिस्पर्धा का दौर शुरू हो गया है। इसके कारण यात्रियों के साथ अभद्र व्यवहार करने की शिकायतें सामने आ रही हैं।

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