मध्यप्रदेश में जल्द होगे कलेक्टर और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले
-5 जनवरी 2025 के बाद, विधानसभा सत्र के बाद प्रस्तावित बदलाव
भोपाल, 14 नवंबर 2024: मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में कलेक्टरों और अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों के लिए व्यापक योजना बनाई है। हालांकि, यह प्रक्रिया तत्काल शुरू नहीं होगी और आगामी 5 जनवरी, 2025 के बाद ही इस पर काम शुरू होगा। इसके पीछे मुख्य कारण राज्य में चल रहा मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण कार्य है, जिसमें राज्य भर के लगभग 65,000 बूथ लेवल अधिकारियों सहित करीब एक लाख सरकारी कर्मचारी शामिल हैं।
इस समय, चुनाव आयोग के निर्देश पर मतदाता सूची के पुनरीक्षण का काम चल रहा है, जो 5 जनवरी तक पूरा होना है। इस अवधि के दौरान, चुनाव आयोग द्वारा नियुक्त किए गए अधिकारी व कर्मचारियों का तबादला नहीं किया जा सकता। इन अधिकारियों की जिम्मेदारी मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन करने की है, जो चुनावी प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है। अतः जब तक यह कार्य पूरा नहीं होता, तब तक इन्हें किसी भी प्रशासनिक फेरबदल से बाहर रखा जाएगा।
प्रशासनिक बदलाव के संकेत
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन ने प्रशासनिक बदलाव की प्रक्रिया को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए हैं। मंत्रालय स्तर पर 26 आईएएस अधिकारियों के तबादले पहले ही किए जा चुके हैं, और अब मैदानी स्तर पर तबादलों की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इन बदलावों में कलेक्टर, अपर कलेक्टर, अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार और नायब तहसीलदार समेत अन्य प्रशासनिक अधिकारियों के तबादले शामिल हो सकते हैं।
मुख्य सचिव अनुराग जैन ने इस प्रक्रिया को लेकर पहले ही मंत्रालय से अधिकारियों की पदस्थापना की सूची तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसके तहत मंत्रालय स्तर पर पहले ही कुछ प्रमुख बदलाव किए जा चुके हैं। इन प्रस्तावों को मुख्यमंत्री ने मंजूरी दी है। अब अगला कदम मैदानी स्तर पर प्रशासनिक फेरबदल को लेकर होगा, जो विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद प्रस्तावित किया जाएगा।
विधानसभा सत्र और बदलाव की रणनीति
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और मुख्य सचिव अनुराग जैन के नेतृत्व में अब यह बदलाव विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बाद लागू किए जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यह निर्णय लिया है कि मैदानी स्तर पर अधिकारियों का तबादला चुनावी माहौल को देखते हुए और प्रशासन की कार्यक्षमता को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा।
हालांकि, मुख्य सचिव अनुराग जैन के बारे में यह चर्चा रही है कि वे प्रशासन में जल्दबाजी करने के पक्ष में नहीं हैं। वे अधिकारियों के तबादलों को सावधानी से और चरणबद्ध तरीके से लागू करना चाहते हैं ताकि सरकारी कार्यों में कोई विघ्न न आए और चुनावी प्रक्रिया में भी कोई व्यवधान न हो।
चुनाव आयोग के निर्देशों का पालन
चुनाव आयोग के आदेशों का पालन करते हुए अधिकारियों के तबादलों को लेकर सरकार ने कड़े दिशा-निर्देश जारी किए हैं। 65,000 बूथ लेवल ऑफिसर और अन्य चुनावी कार्यों में शामिल अधिकारियों के लिए किसी भी प्रकार के फेरबदल को 5 जनवरी, 2025 तक स्थगित रखा गया है। चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार, जब तक मतदाता सूची के पुनरीक्षण का कार्य पूरा नहीं होता, तब तक इन अधिकारियों का तबादला नहीं किया जा सकता।
इस बीच, मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और संशोधन के कार्यों में लगे अधिकारियों को चुनाव आयोग की प्रतिनियुक्ति पर माना जा रहा है। इसलिए, चुनाव आयोग की अनुमति के बिना इन अधिकारियों को हटाया या बदला नहीं जा सकता।
मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव दोनों का मानना है कि प्रशासनिक फेरबदल प्रक्रिया को सही समय पर और सोच-समझकर किया जाना चाहिए, जिससे राज्य के प्रशासनिक ढांचे में स्थिरता बनी रहे। चुनावी साल में यह विशेष महत्व रखता है, क्योंकि प्रभावी प्रशासन ही चुनावी प्रक्रिया को निर्बाध और निष्पक्ष बना सकता है।
विधानसभा सत्र के बाद जब प्रस्ताव तैयार होंगे, तब सरकार की प्राथमिकता यह होगी कि तबादले ऐसे समय पर किए जाएं जब चुनावी प्रक्रिया में किसी भी तरह का विघ्न उत्पन्न न हो। प्रशासनिक सुधार और चुनावी कार्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौती को ध्यान में रखते हुए सरकार यह कदम उठाएगी।