Mp news-मध्यप्रदेश में प्रॉपर्टी रेट्स में वृद्धि: 55 जिलों में बढ़े दाम, भोपाल में रुका फैसला
भोपाल: मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य के 55 जिलों में प्रॉपर्टी रेट्स में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है, जिसके तहत 3,000 से अधिक लोकेशंस पर प्रॉपर्टी की कीमतों में बदलाव किया गया है। कलेक्टरों ने 1 लाख 12 हजार लोकेशंस पर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन चार्ज के जरिए सरकार के राजस्व में वृद्धि करने के उद्देश्य से कीमतें बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भेजा था, जिसे मंजूरी मिल गई। इंदौर जैसे बड़े शहरों में सबसे ज्यादा 3% की बढ़ोतरी की गई है, जबकि भोपाल में फिलहाल इस बढ़ोतरी का फैसला स्थगित कर दिया गया है।
कलेक्टर गाइडलाइंस के तहत यह बढ़ोतरी की गई है, जिसमें टाउन एंड कंट्री प्लानिंग द्वारा मंजूर किए गए लेआउट प्लान, नॉन एग्रीकल्चर जमीन का बढ़ता उपयोग और रजिस्ट्री डेटा के आधार पर मूल्य निर्धारण किया गया है। इसके अतिरिक्त लोकल इंटेलिजेंस से मिली जानकारी, जिसमें बड़े प्रोजेक्ट्स के आने की संभावना जताई गई, को भी इस निर्णय में शामिल किया गया।
भोपाल में स्थगित हुआ निर्णय
भोपाल में प्रॉपर्टी रेट्स में वृद्धि के मामले में महत्वपूर्ण फैसला स्थगित कर दिया गया है। कलेक्टर भोपाल ने पहले क्रेडाई (कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया) के साथ बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। इस बैठक में क्रेडाई के सुझावों पर विचार किया जाएगा, जिसके बाद ही बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
भोपाल के सांसद आलोक शर्मा और विधायक भगवान दास सबनानी ने डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा से मुलाकात कर प्रॉपर्टी रेट्स में वृद्धि के विरोध में अपनी आवाज उठाई थी। उनका कहना था कि यह वृद्धि भोपाल के रियल एस्टेट सेक्टर पर नकारात्मक असर डाल सकती है। इसके साथ ही क्रेडाई ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया था और मांग की थी कि उनके पक्ष को ध्यान में रखते हुए ही कोई कदम उठाया जाए। इस पर वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने हस्तक्षेप किया और भोपाल में रेट्स बढ़ाने का फैसला फिलहाल रोक दिया गया।
क्रेडाई का विरोध और समर्थन
क्रेडाई के अध्यक्ष मनोज सिंह मीक ने कहा, “हमारे मुद्दों को डिप्टी सीएम ने गंभीरता से लिया है। हम तीन साल के लॉक-इन अवधि को समाप्त करने, सर्किल रेट्स को कम करने और उपबंधों को हटाने की मांग पर अभी भी दृढ़ हैं। हमें पूरा यकीन है कि इस दिशा में सकारात्मक समाधान निकलेगा।”
उन्होंने आगे कहा कि रियल एस्टेट डेवलपर्स की समस्या यह है कि उन्हें विकास के लिए निर्धारित दरों में अचानक वृद्धि से परेशानी होती है, जिससे उनके प्रोजेक्ट्स की लागत बढ़ जाती है और ग्राहकों पर भी अतिरिक्त दबाव बनता है। इसलिए क्रेडाई की मांग है कि कीमतों में वृद्धि को समझदारी से नियंत्रित किया जाए और रियल एस्टेट सेक्टर को संरक्षित किया जाए।
आर्थिक दृष्टि से महत्व
यह वृद्धि सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण राजस्व स्रोत साबित हो सकती है, खासकर स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क में वृद्धि के जरिए। हालांकि, रियल एस्टेट सेक्टर में इस निर्णय के प्रभाव से कई सवाल भी उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि प्रॉपर्टी के रेट्स में वृद्धि से नए घर खरीदने वालों के लिए समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे बाजार में मंदी का सामना भी करना पड़ सकता है।
यह भी देखा गया है कि भोपाल जैसे प्रमुख शहरों में इस वृद्धि का विरोध बढ़ रहा है, जबकि इंदौर में सबसे ज्यादा 3% की वृद्धि की गई है। अब यह देखना होगा कि कलेक्टर भोपाल और क्रेडाई के साथ विचार विमर्श के बाद अगले चरण में क्या निर्णय लिया जाएगा।
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रॉपर्टी रेट्स में वृद्धि का निर्णय प्रदेश के विकास के लिए आवश्यक राजस्व जुटाने का एक कदम हो सकता है, लेकिन रियल एस्टेट डेवलपर्स और उपभोक्ताओं के दृष्टिकोण से इस कदम के प्रभावों का ध्यान रखना आवश्यक होगा। वहीं, भोपाल में इस फैसले का स्थगन और कलेक्टर गाइडलाइन पर विचार के बाद ही आगे की दिशा तय की जाएगी।