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Mp news:मध्य प्रदेश में पेंशन और सेवा नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी

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Mp news:मध्य प्रदेश में पेंशन और सेवा नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी

भोपाल-मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के लाखों कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। वर्षों से अपरिवर्तित पेंशन और सेवा नियमों में अब बदलाव करने की दिशा में राज्य सरकार कदम बढ़ाने जा रही है। इस बदलाव के लिए सरकार एक चार सदस्यीय समूह का गठन करने वाली है, जो एक वर्ष के भीतर इन नियमों का पुनः परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। यह कदम कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए सुखद समाचार साबित हो सकता है, क्योंकि लंबे समय से उनकी समस्याओं को सुलझाने की आवश्यकता महसूस की जा रही थी।

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राज्य में करीब 7 लाख से अधिक नियमित कर्मचारी और 4 लाख से अधिक पेंशनर हैं, जिनकी पेंशन और सेवा संबंधी नियमों में संशोधन की आवश्यकता है। इन नियमों में बदलाव करने का निर्णय सरकार ने इसलिए लिया है, क्योंकि वर्तमान में ये नियम पुराने हो चुके हैं और कर्मचारियों तथा पेंशनरों की बदलती जरूरतों और समय के साथ अनुकूल नहीं हैं।

सरकार का यह कदम इसलिए भी अहम है क्योंकि पेंशन नियम 1976 में अंतिम बार संशोधित किए गए थे, और तब से इनमें कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। हालाँकि, भारत सरकार ने पेंशनरों के लिए कई बदलाव किए हैं, जैसे कि 25 वर्ष से अधिक अविवाहित पुत्री, विधवा, और परित्यक्ता महिलाओं को परिवार पेंशन देने का प्रावधान, लेकिन मध्य प्रदेश में इस प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं थी। अब राज्य सरकार इन बदलावों को लागू करने की दिशा में सक्रिय कदम उठा रही है।

इस प्रक्रिया के तहत सरकार ने एक चार सदस्यीय समूह गठित करने का निर्णय लिया है, जो विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करने का अनुभव रखने वाले अधिकारियों से मिलकर बना होगा। इस समूह का मुख्य कार्य पेंशन नियमों, भर्ती संबंधी नियमों और कर्मचारियों को मिलने वाले भत्तों के मुद्दों पर विचार करना होगा। समूह एक वर्ष के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करेगा, जो कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए महत्वपूर्ण बदलाव की नींव रखेगी।

कर्मचारी आयोग, जो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जीपी सिंघल की अध्यक्षता में काम कर रहा था, पहले ही पेंशन नियमों में सुधार के लिए अपनी रिपोर्ट वित्त विभाग को तीन वर्ष पहले सौंप चुका था। हालांकि, इस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया। अब नए गठित समूह द्वारा कर्मचारी संगठनों से भी बातचीत की जाएगी, जो पहले कभी सीधे रूप से अधिकारियों से संवाद नहीं कर पाए थे। यह कदम कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए एक महत्वपूर्ण पहल साबित हो सकता है।

इसके अलावा, कर्मचारियों के वेतनमान में विसंगतियों और गृह भत्ता जैसे अन्य भत्तों की वृद्धि के मुद्दे पर भी नए समूह का ध्यान केंद्रित होगा। इन मुद्दों पर पहले भी कर्मचारी संगठनों द्वारा कई बार ध्यान आकर्षित किया गया था, लेकिन अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए थे।

सामान्य प्रशासन और वित्त विभाग इस पूरे प्रक्रिया में समन्वयक की भूमिका निभाएंगे और समूह को आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराएंगे। इससे यह सुनिश्चित होगा कि समूह को सही जानकारी मिल सके और वह सुधार के लिए ठोस कदम उठा सके।

इस नए कदम से कर्मचारियों और पेंशनरों की समस्याओं का समाधान हो सकता है, और साथ ही प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो सकता है। सरकार के इस निर्णय से मध्य प्रदेश के कर्मचारियों और पेंशनरों को उम्मीद है कि वे अपने अधिकारों और सुविधाओं में सुधार देखेंगे।

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