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पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस समेत 3 IAS के खिलाफ EOW में शिकायत

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पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस समेत 3 IAS के खिलाफ EOW में शिकायत

-नियुक्तियों में गड़बड़ी का आरोप

 भोपाल: महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से लाखों महिलाओं को आजीविका से जोड़कर देशभर में प्रदेश का ख्याति दिलाने वाले राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशनकर्मियों की नियुक्ति में गड़बड़ी का मामला राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) पहुंच गया है।

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तीन सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों के खिलाफ शिकायत

सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी आजाद सिंह डबास ने इस मामले में शिकायत कर तीन सेवानिवृत्त आइएएस अधिकारियों के विरुद्ध जांच की मांग की है। इसमें पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव और अशोक शाह शामिल हैं। इसके साथ ही मिशन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी और सेवानिवृत्त आइएफएस अधिकारी एमएल बेलवाल की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए हैं।

नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी

डबास द्वारा की गई शिकायत में आरोप लगाया है कि 2017 में ग्रामीण आजीविका मिशन में की गई नियुक्तियों में नियमों की अनदेखी की गई है। तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी एमएल बेलवाल ने 15 नए जिलों में मिशनकर्मियों की नियुक्ति की प्रशासकीय स्वीकृति के लिए प्रस्ताव तत्कालीन अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग इकबाल सिंह बैंस को भेजा था। इसमें रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी करने की बात कही गई।

गड़बड़ी की बात को स्वीकार

विभागीय मंत्री ने भर्ती प्रक्रिया प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड से करवाने को कहा गया था, जिसे नहीं माना गया। इसकी शिकायत पहले भी ईओडब्ल्यू में हुई थी, जिसकी जांच विभागीय तौर पर नेहा मारख्या ने की थी। उनकी रिपोर्ट में गड़बड़ी की बात को स्वीकार किया गया। इसके बाद भी प्रकरण दर्ज नहीं कराया गया।

नहीं हुई कार्रवाई

अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार श्रीवास्तव और अशोक शाह ने कोई कार्रवाई नहीं की। न्यायालय में भी परिवाद दायर किया गया, जिस पर स्टेटस रिपोर्ट मांगी गई। ईओडब्ल्यू ने सामान्य प्रशासन विभाग की अनुमति आवश्यक होने की जानकारी दी, लेकिन इसके बाद आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने जांच के लिए आवश्यक अनुमति देने की मांग मुख्य सचिव से करते हुए पत्र भी लिखा है।

अधिकारी की सफाई

एमएल बेलवाल का कहना है कि नियुक्ति की प्रक्रिया नियमानुसार हुई है। भारत सरकार की एजेंसी से प्रक्रिया कराई गई और पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने अधिकारियों की जो समिति बनाई थी, उनमें मेरिट के आधार पर संविदा नियुक्ति के लिए चयन किया।

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