सात साल बाद एमपी में होने जा रहे हैं मंडी समितियों के चुनाव
भोपाल- मानसून सीजन समाप्त होने के बाद प्रदेश में मंडी समितियों के सात वर्ष बाद चुनाव कराए जाएंगे। इनसे लाखों किसान जुड़े हुए हैं और वर्तमान में अधिकारी प्रशासक के तौर पर काम देख रहे हैं। किसी भी स्थिति में इनकी अवधि दो वर्ष से अधिक नहीं रखी जा सकती है। इसको लेकर हाईकोर्ट में याचिका भी लग चुकी है। यही स्थिति सहकारी समितियों की भी है। इनके भी चुनाव मानसून सीजन के बाद कराने की तैयारी है पर पहले अधिकारियों के स्थान पर किसानों के प्रतिनिधियों को प्रशासक मनोनीत किया जाएगा।
सीएम चाहते हैं कि समितियों के चुनाव हों
सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव की मंशा है कि समितियों के चुनाव हों ताकि निर्वाचित जनप्रतिनिधि संस्थाओं का संचालन करें। वे ही स्थानीय आवश्यकताओं को देखकर नीतियां भी बनाएं। इसे ध्यान में रखते हुए सहकारिता और कृषि विभाग ने चुनाव की तैयारियां प्रारंभ की हैं। मानसून सीजन के बाद 259 कृषि उपज मंडी समितियों के चुनाव कराए जाएंगे। ये चुनाव 2017 में हो जाने चाहिए थे लेकिन विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए इन्हें टाल दिया गया।
2019 से भंग हैं समितियां
जनवरी 2019 में समितियां को भंग कर दिया गया, तब से प्रशासनिक अधिकारी मंडियों के प्रशासक बने हुए हैं। जबकि, स्पष्ट प्रविधान है कि समिति का कार्यकाल छह-छह माह करके दो बार बढ़ाया जा सकता है लेकिन चुनाव लगातार टाले जाते रहे। यही स्थिति सहकारी समितियों के भी है। यहां भी अधिकारी ही प्रशासक बने हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि पहले प्रशासक सहकारिता से जुड़े व्यक्तियों को बनाया जाएगा। इनकी अगुआई में ही चुनाव कराए जाएंगे।