Sidhi24news;मप्र के कर्मचारियों की वेतन विसंगति 36 साल से चली आ रही मांग अब पूरी होगी…
आयोग ने रिपोर्ट सौंपी, मप्र के 7.5 लाख कर्मचारियों में से 5 लाख को 12 हजार से 60 हजार प्रतिवर्ष का फायदा
भोपाल मध्यप्रदेश में कार्यरत साढ़े सात लाख कर्मचारियों में के दो हजार संवर्गों में से एक हजार में पिछले 36 साल से चली आ रही वेतन विसंगतियां जल्द खत्म होने जा रही है। वेतनमान में एकरूपता से करीब 5 लाख कर्मचारियों को हर साल 12 हजार से लेकर 60 हजार रुपए तक का लाभ होगा। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा ने कहा कि सिंघल आयोग की रिपोर्ट मिल गई है, जिसका परीक्षण कर जल्द ही लागू किया जाएगा।
वेतनमानों की ऐसी विसंगतियां अब दूर होंगी
प्रदेश में स्टेनोग्राफर की भर्ती प्रक्रिया व योग्यता समान है, लेकिन मंत्रालय में 1 जनवरी 1996 से इस संवर्ग के कर्मचारियों को ज्यादा वेतनमान दे दिया गया, जबकि विभागाध्यक्ष और कलेक्टर कार्यालय में काम करने वाले स्टेनोग्राफर का वेतनमान कम है। मंत्रालय, पुलिस मुख्यालय एवं विधि विभाग में कार्यरत स्टेनोग्राफर को प्रारंभिक वेतनमान 5500-9000 रुपए मिल रहा है जबकि विभागाध्यक्ष और कलेक्ट्रेट में 4500-7000 रुपए वेतनमान मिल रहा है।
वेतन विसंगतियों में सबसे बड़ा वर्ग जो प्रभावित है, तृतीय श्रेणी में बाबू और चतुर्थ श्रेणी में भृत्य हैं। इनकी संख्या 1.25 लाख के करीब है। प्रदेश के समस्त 52 विभागों में लिपिक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कार्यरत हैं जिनकी वेतन विसंगतियां बनी हुई हैं। शेष | पेज 12 पर
6 महीने से 1 साल तक का समय लग सकता है
वेतन विसंगतियों पर जीपी सिंघल आयोग की रिपोर्ट का परीक्षण कर वित्त विभाग संशोधित वेतनमान मंजूरी के लिए कैबिनेट में ले जाएगा। वहां से स्वीकृति के बाद ये लागू होगा। जानकारों के मुताबिक इसमें 6 माह से 1 साल तक का वक्त लग सकता है। 2020 में शिवराज सरकार ने पूर्व वित्त सचिव जीपी सिंघल की अध्यक्षता में इस आयोग का गठन किया था।