Sidhi24news; रूस के बाद ऑस्ट्रिया की यात्रा पर पहुंचे प्रधानमंत्री, कहा- भारत के साथ और मजबूत होगी मित्रता, कई मामलों पर चर्चा की
यह युद्ध का समय नहीं, बातचीत से मुद्दों का समाधान करें: मोदी
विएना, एजेंसी। रूस के बाद ऑस्ट्रिया के दौरे पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को फिर कहा कि यह युद्ध का समय नहीं है। बातचीत के जरिये मुद्दों का समाधान किया जाना चाहिए। ऑस्ट्रिया के चांसलर कार्ल नेहमर के साथ चर्चा के बाद उन्होंने यह बात कही। मोदी ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया की मित्रता और मजबूत होगी। इस दौरान दोनों नेताओं ने यूक्रेन संघर्ष और पश्चिम एशिया की स्थिति समेत विश्व में जारी विवादों पर विस्तृत चर्चा की।
वार्ता के बाद नेहमर के साथ मीडिया को संयुक्त रूप से संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, चांसलर नेहमर और मेरे बीच बहुत ही सार्थक चर्चा हुई। हमने आपसी सहयोग को और मजबूत करने के लिए नई संभावनाओं को तलाशा है। हमने अपने संबंधों को रणनीतिक दिशा देने का निर्णय लिया है। आने वाले दशक के लिए सहयोग का खाका तैयार किया गया है।
बातचीत के साथ कूटनीति पर जोरः प्रधानमंत्री ने कहा, हमने दुनियाभर में जारी संघर्षों के बारे में विस्तृत वार्ता की है, चाहे वह यूक्रेन संधर्ष हो या पश्चिम एशिया में स्थिति। मोदी ने कहा कि समस्याओं का समाधान युद्ध के मैदान में नहीं निकाला जा सकता। भारत और ऑस्ट्रिया बातचीत के साथ कूटनीति पर जोर देते हैं। इसके लिए वे कोई भी सहयोग करने को तैयार हैं।
आतंकवाद की कड़ी निंदाः उन्होंन कहा कि भारत और ऑस्ट्रिया, दोनों देश आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हैं और इस बात पर सहमत हैं कि यह किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा, इसे किसी भी तरह से उचित नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और कानून का शासन जैसे मूल्यों में साझा विश्वास भारत-ऑस्ट्रिया संबंधों का मजबूत आधार है। उन्होंने कहा, पारस्परिक विश्वास और साइस हित हमारे संबंधों को मजबूत करते हैं।
ऑस्ट्रिया में मंगलवार को भारतीय प्रवासियों से मुलाकात करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी।
वियना में प्रधानमंत्री संग सेल्फी लेते ऑस्ट्रियाई चांसलर कार्ल नेहमर। एएफपी
हवाई अड्डे पर प्रधानमंत्री का भव्य स्वागत
रूस की दो दिवसीय यात्रा के बाद मोदी विएना पहुंचे हैं। यह 40 वर्ष से अधिक समय में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली ऑस्ट्रिया यात्रा है। 1983 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस देश की यात्रा की थी। ऑस्ट्रिया के विदेश मंत्री अलेक्जेंडर शेलेनबर्ग ने मोदी का स्वागत किया।
कंपनियों को भारत में निवेश का न्योता
विएना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑस्ट्रियाई कंपनियों को भारत में निवेश करने को आमंत्रित किया। उन्होंने कहा, भारत में अपार संभावनाएं है। विदेश मंत्रालय ने कहा, प्रधानमंत्री ने भारत और ऑस्ट्रिया की कंपनियों के बीच सहयोग के महत्व पर चर्चा की।
टैंकों से लेकर सुखोई के कलपुर्जे भारत में बनेंगे ■ मदन नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते
रूस-यूक्रेन के हथियारों की हो सकेगी मरम्मत
भारतीय सेनाओं के कई रक्षा उपकरणों की मरम्मत नहीं हो पा रही है। लेकिन, अब इसका समाधान निकलता हुआ दिख रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के बीच मंगलबार को हुई शिखर वार्ता के दौरान दोनों देश भारत में ऐसे कलपुर्जी के संयुक्त उत्पादन पर सहमत हुए हैं। सेना से जुड़े सूत्रों ने इस घोषणा को बेहद महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि इससे तीनों सेनाओं को उन उपकरणों को सेवा के योग्य बनाने में मदद मिलेगी, जिनके लिए रूस या यूक्रेन से कलपुर्जी की आपूर्ति पिछले दो सालों से युद्ध के चलते उप पड़ी हुई है। कुछ समय पूर्व तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा था कि युद्ध के चलते अकेले थल सेना के 40 रक्षा प्रणालियां
प्रभावित हुई हैं। कलपुर्जी की आपूर्ति नहीं होने से मुख्य रूप से एयर डिफेंस सिस्टम, टैंक, लड़ाकू एवं परिवहन विमान, हेलीकॉप्टर, जंगी पोत, पनडुब्बियां आदि प्रभावित हुई हैं। तीनों सेनाओं में
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दोनों देश मेक इन इंडिया के तहत भारत में संयुक्त उपक्रम स्थापित करेंगे। रूस इस उपक्रम को तकनीक का हस्तांतरण करेगा। इस प्रकार दीनों देश संयुक्त रूप से कलपुर्जी का उत्पादन करेंगे। इससे रूस और यूक्रेन में बने हथियारों की मरम्मत भारत में हो सकेगी। इसके अलावा यह उपक्रम दूसरे देशों को भी इन कलपुर्जी का निर्यात कर सकेगा।
उच्च श्रेणी के 60-65% रक्षा प्लेटफार्म रूस या यूक्रेन निर्मित हैं। पिछले दो दशकों में 65 फीसदी रक्षा खरीद रूस से हुई है। रख-रखाव नहीं हो पाने के कारण 50 फीसदी सुखोई उड़ान भरने की स्थिति में नहीं हैं। मिग-29 विमानों, सिंधुघोष श्रृंखला की पनडुब्बियों के लिए रूस के कलपुर्जी एवं पोतों में इस्तेमाल होने वाले गैस टर्बाइन इंजन के पुर्जी के लिए यूक्रेन पर निर्भर है।
एक पनडुब्बी मरम्मत के लिए रूस गई
थी, लेकिन महीनों बाद लौटी।
शांति बहाली में भारत अहम: चांसलर
ऑस्ट्रिया के बांसलर कार्त
नेहमर ने कहा कि रूस-यूक्रेन के बीच शांति बहाली में भारत की अहम बेहद महत्वपूर्ण है। भारत एक प्रभावशाली और विश्वसनीय देश है। उन्होंने कहा, ऑस्ट्रिया एक तटस्थ देश के रूप में बातचीत के लिए प्रभावी मंच बनने को तैयार है। संयुक्त बयान में नेहमर ने कहा, हमारे बीच यूक्रेन के खिलाफ रूस की आक्रामकता के बारे में गहन बातचीत हुई। भारत दुनिया का सबसे बढ़ा तीकतंत्र है।
रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव
भारत को एस-400 पर एयर डिफेंस सिस्टम की पूर्ण आपूर्ति नहीं सकी। अभी भी इसके दो सेट भारत को मिलने हैं
जल्द उत्पादन पर जोर
2020 में 12 सुखोई, 21 मिग-29 विमानों की खरीद त्या अन्य मिग- 21 विमानों को अपग्रेड करने के अनुबंध में भी विलब
संयुक्त उत्पादन कब से शुरू हो सकेगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि इस पर आने वाले दिनों में दोनों देश कितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं। चूंकि, यह उपक्रम भारत की किसी रक्षा कंपनी जैसे एवाएल या अन्य के साथ होगा, इसलिए बुनियादी ढांचा हमेशा तैयार मिलेगा।
■ नौसेना के लिए रूस से 2025 तक एक परमाणु पनडुब्बी लीज पर लेने के करार में भी विलंब तुय माना जा रहा है