भारत में कौन निवेश करेगा, अगर निजी कंपनी को देश का भौतिक संसाधन बताया जाए: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि अगर किसी सेमीकंडक्टर चिप्स निर्माता कंपनी को भारत में प्लांट स्थापित करने के लिए कहा जाए और प्लांट स्थापित हो जाए, क्योंकि देश को चिप्स की जरूरत है. लेकिन बाद में कंपनी को बताया जाए कि यह समुदाय का भौतिक संसाधन है और इसे छीन लिया जाएगा, तो देश में निवेश कौन करेगा? शीर्ष अदालत ने कहा कि सवाल यह है कि अगर कोई व्यक्ति निवेश करता है, कारखाना बनाता है और उत्पादन शुरू करता है. कल, यह नहीं कहा जा सकता है कि इसे श्रमिकों को वितरित करने के उद्देश्य से ले लिया जाएगा.
इससे पहले, मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि आज के समय में संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) और (सी) को ऐसे परिभाषित नहीं कहा जा सकता, जो साम्यवाद या समाजवाद का बेलगाम एजेंडा देती है, क्योंकि यह आज हमारा संविधान नहीं है. अदालत का कहना था कि हमने स्पष्ट रूप से निजी क्षेत्र द्वारा निवेश को प्रोत्साहित करने की नीति अपनाई है… आपको निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की जरूरत है.
राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में अनुच्छेद 39 (बी) कहता है कि राज्य अपनी नीति को यह सुनिश्चित करने की दिशा में निर्देशित करेगा कि समुदाय के भौतिक संसाधनों का स्वामित्व और नियंत्रण इस तरह वितरित किया जाए कि आम हित की पूर्ति हो सके. वहीं, अनुच्छेद 39 (सी) यह कहता है कि आर्थिक प्रणाली के संचालन के परिणामस्वरूप सामान्य हानि के लिए धन और उत्पादन के साधनों का कॉन्सन्ट्रेशन नहीं होता है.
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ जजों की पीठ एक संदर्भ का जवाब दे रही है कि क्या संविधान के अनुच्छेद 39(बी) में वाक्यांश ‘समुदाय के भौतिक संसाधन’ में निजी स्वामित्व वाली चीजें शामिल हैं. पीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं.